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शुक्रवार, 23 जुलाई 2010
तिन नि औण ..बेटा !!! Copyright © अनुपम ध्यानी
खीसा मा कुछ नी छौ
नि छौ कुछ झोला मा
बस छौ उम्मीद कु दामन
सपणा आँखों मा
पढै लिखी ख़त्म कोरी की तैं
मिन यख औंण की सोची
विदेशामा कुछ बणि की टी दिखै दयूं
मिन तक्खी तक ही सोची
माँ, बाप, भुल्ली कु प्यार
सने दिल मा दबै कि तैं
मिन जन तन हिम्मत जुटे
पर सोब का सोब , सोचण लग गेन
स्यु जू गै अब, येन अब नि औण
तीन साल हुए गेन
मिन घौर कि शक्ल नि देखि
भट्ट नि बुकैन
झंगोरू , कोदू ,पाल्यो नि चखी
रयोंदुं छौन मैं कई बार
पर बोल नि सक्दौं
घोरा लोखुं कु दर्द बिन्ग्दौं मैं
पर खुद का राज़ खोल नि सक्दौं
अब ता च्च्ची न जू बोली छौ
वू सच लगदु च
तिन बल वख बस नोट कमोंण
इक बार जो तू चलगी
बेटा तिन घौर नि औंण
तुम सण कण बतेइ सकदु
कि मेरु मन लगदु नि च यख
घोर, प्रेम और मन
वख च वख
जख जख्या कु छौंक लगदु
जख द्वी रुट्ठी मा
घौर चल्दु
जख पिताजी डांट लागोंदन
जख माँ नींद बीटी जगौन्दी च
जख भुल्ली लड़दी च
अब तो लगदु कि
च्च्ची न झूठ नि बोली छौ
तिन बस वख बर्गेर, पिज्ज़ा ही खै सकण
बेटा तू जानी तो छें
तिन घौर नि ए सकण
छि कख फस्यों मैं
कब जलु घौर
जख होली ख़ुशी
जख हुली उमंग कि बौर
च्च्ची तेरी बात सने
एक दिन मिन हरै कि रखण
तिन देखण एक दिन
मिन वापिस औंण
जल्दी औंण
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अनुपम जी सुंदर प्रयास च गढवली मा लिखण कु। बधै आप ते।
जवाब देंहटाएंbahut badhiya
जवाब देंहटाएंWaw
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