हम छोड चले है महफिल को याद आये कभी तो मत रोना
(गढवाली मे अनुवाद करने का एक प्रयास)
हम छोडिक चली ग्या यी महफिल तै,
याद एली अगर त रवै न कभी
यी जिकुडी ते बुथै लेई तू,
घबरालु अगर त रवै न कभी
हम छोडिक चली ग्या यी महफिल तै
एक सुपिन सी देखी छ्याइ हमनू
जब आंख ख्वाली त टूटि ग्याई
यु प्यार अगर सुपिन बनि की
तडपाल तुझे त रवै न कभी
हम छोडिक चली ग्या यी महफिल तै
तु म्यार ख्यालो मे
बरबाद नी कैरी अपर जीवन तै
जब क्वी दगड्या बात त्वै तै
समझालू त रवै न कभी
हम छोडिक चली ग्या यी महफिल तै
जीवन का सफर मा यखुली
मितै त जिन्दा नी छ्वाडली
मुरण की खबर ये मेरी जिकुडी
मिलली त रवै न कभी
हम छोडिक चली ग्या यी महफिल तै
- प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल
(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)
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