मि उत्तराखँडी छौ - यू शब्द ही अपणा आप ये ब्लाग क बारा मा बताणा कुण काफी छन। अपणी बोलि/भाषा(गढवाली/कुमाऊँनी) मा आप कुछ लिखण चाणा छवा त चलो दग्ड्या बणीक ये सफर मा साथ निभौला। अपणी संस्कृति क दगड जुडना क वास्ता हम तै अपण भाषा/बोलि से प्यार करनु चैंद। ह्वे जाओ तैयार अब हमर दगड .....अगर आप चाहणा छन त जरुर मितै बतैन अर मि आप तै शामिल करि दयूल ये ब्लाग का लेखक का रुप मा। आप क राय /प्रतिक्रिया/टिप्पणी की भी दरकार च ताकि हम अपणी भासा/बोलि क दगड प्रेम औरो ते भी सिखोला!! - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
सुशील जी भगती चचा क दगड खूब पिलै आपन...सुंदर सुशील जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपकू प्रति जी....
जवाब देंहटाएंbahut badiya , aapku kavita ko suniki myar bhi mood bun gayaee, aaj laganu ko jee bonu chaa.
जवाब देंहटाएंसुशील जी पीणा कु भगती चचा क दगड आप भी छयाइ क्या। वाह क्या खूब वर्णन करि आपन दारु पीणा का बाद क्या होंदु.. बधाई रचना का वास्ता ....
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआप सभी कू धन्यवाद यीं रचना तैं पसंद करण खुणैं
जवाब देंहटाएंSushil ji bilkul sahi boli aapan..bhagti chacha jan bahut si log chan hamar pahad ma daaru ka baan sarkari naukari chodi dend chan...
जवाब देंहटाएंbhagti chacha ki aap biti ku sundar varnan.
धन्यवाद विनोद भाई
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