इन ह्वे कौथिग..
जब जलि यूएई मा एक जोत
'दीपक' न करि तब शुरुआत
'मथुरा' जी न तब रंग दिखे
'सुबह का भूला' हम ते दिखे
करि सबी मेहमानो कू स्वागत
फूल देनि जब बच्चो न उंका हाथ
'प्रीतम' जी न याद करि सब दिबतो ते
फिर अपणा गीतो से ऊना नचै सब्यू ते
'संगीता' जी का सुर तब इन लगेनि
खुद लगै कि हमरि, खुद मिटै गैनि
'हरियाला' जी न जिकुडी हमरी हेरि केरि दे
बेडु पाको अर रुमाल क दगडी सब्यू ते नचै दे
'वसु' का सुर खूब गुंजिन यूएई मा
सबी उत्तराखंडी याद राखल दिल मा
'अरुण' अर 'विवेक' ना भी खूब महफिल सजैई
'ज्ञान' अर 'बंसत' जी ना भी सब्यू कु दिल लुभैई
इखे कि प्रतिभाओ कुण अब क्या बुलण
खौलें ग्याओ देखि नाटक अर उंको नचण
बिना एक दुसरा क सहयोग क्वी काम नी ह्वे सकदू
'यूएई ग्रुप' इन सबी लुखो कु दिल से धन्यवाद करदू
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
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