देबी दिबतौ की खूब पूजे करी
डांडा काण्ठियू ते खूब ल्याख
ब्यो बरती कू खूब स्वांग रची
खुदेड़ गीतों मा खूब रूले
रास रस्याण की अर खाणे पीणे की
की खूब घपरौल मचे
अब मीन कुछ और लिखण
ज्यू बुलणु कुछ और लिखण कू
पर सुचणु छौं
क्या लेखू, क्या नी लेखू
इने उने की कथुक लिखण
तुम्हीं बताओ दी क्या लिखण
सच लिखण कि झूठ लिखण
त्वेते लिखलू त सच ही लिखलू
अफु ते लिखुल त झूठ लिखलू
या ही त सच्चे छ अचकाल
सच दुसरों की ही भलु लग्दु
अपर झूठ त सदेनी लिख्द आणू छौं
सच दुसरों कु ही लिखे जांद
बुरे त दुसरों की ही दिखेंदी
अर टंगड़ खिंचण मा
हम गढ़वलियूं कु
क्वी मुक़ाबला भी त नी च
खुद ते हम, सच्चे कु पुतला समझदौ
अंगुली उठाण मा भी त आनंद आन्दु
अफु ते वाह-वाही
अर दुसर ते सर्मन्दगी मिलद
अर हाँ इन लिखण का बाद ही त
जीत कू अहसास हून्द
एवरेस्ट पर जन झण्डा फहराण सी
अर मुखड़ी पर रंगत बकी बाते की
चलो यू ही सब
एक बार मी लिखण कुण तैयार छौं
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
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