चमकुणू होलू आज
मेरू पहाड,
द्यो जगी गे होलू
मेरू गौवं मा !
अन-धन क कुठारो और
दबलो की पूजा होली होणी..!
भैलू और उक्कलो पर
लगी गे होली पिठैयी..!
तेल टपकणु होलू
स्वालो बटी..!
औशी कू दिन येगे
तीन मुख्या तालू भी,
लाल बणी गे होलू..!
छोट-छोट नौनयाल,
लूकण होला,
तालू तै देखी.!
फुलझडी पटाखों की
भडभडाट होली होणी..
गोर-बखर बितगण होला
पटाखो की फ़डफ़डाट सूणी..
भैलू खिनू तै सभी,
हवेगे होला कठ्ठी !
पिठ्या भैलू और
भैलू की लडै..!
मेरू गौंव कू यू रिवाज,
ईन मनाद छौ बग्वाल !
भाईचारा और प्रेम की मिशाल !
अन्न धन्न की ईगास, बग्वाल
मेरू पहाड की ईगास
मेरू पहाड की बग्वाल
मेरू पहाड की रिती-रिवाज
साल भर बटी होन्दी जैकी जग्वाल,
बौडी येगे आज फिर बग्वाल...!
खूशी और प्रेम कू यू त्यौहार..
हो सूख:शान्ति और प्रेम की बहार..!!
सभी दगडियो तै शूभ:बग्वाल !!!
शूभ:बग्वाल, शूभ:बग्वाल ....!
Copyright © 2010 Vinod Jethuri
३ नवम्बर २०१० @ २३:३३
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(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
जवाब देंहटाएंदीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
अच्छी रचना , बधाई आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ......
जवाब देंहटाएंकभी हमारे ब्लॉग पर भी आए //shiva12877.blogspot.com