जब तीन सोची
मीन भी सोची
पराल लगी
भुक्कि पै
खुद मा तेरी
डाडां डाडां
घुमणु रौं मी
कांडा बैठि
खुटियो मा मेरी
खुद मा तुमरी
चिठ्ठी लेखि
आंखो मा ऎगे पाणी
रुझि गै कागज़
अब क्या लेखु
खुद मा तेरी
जुन्यालि रात
एखुली छौ
तारो क दगडी
केरी बस तेरी बात
खुद मा तुमरी
तेरी फोटु
कभी पुरेणी सी
कभी नैई सी लगदी
पर बात मी रोज करदू
खुद मा तेरी
रुटि जेल जांद
आग बुझि जांद
शीसा नि दिखदू
रस्ता रोज़ मी दिखदू
खुद मा तुमरी
इनै विनै
दिखणू रैंद
जख जख त्वै दगड़ी
याद छन बसी मेरी
खुद मा तेरी
प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल, अबु धाबी
(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)
binja achu beji
जवाब देंहटाएंBHAJI BHLU MAJA AIGE
जवाब देंहटाएंnaice
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