अछु ह्वै
मिन बोली पंडत जी ..
जरा ई जन्म पत्री दिखया
कनी दशा लगी होली जू इन ह्वै गे
अछु भलु पड्यु लिखू नोनू छो
मती मरेगी एकी जू , पुलिसम भर्ती ह्वै गे !
पंडित्ल बोली ...
हून त येल नेता छो , पर चला
अछु ह्वै जू पुलिसम चलिगे
अरे जजमान नेता से पुलिस भलो
वो त पाच साल tak रालू , पर युत
ता जिन्दगी भर घूस खालो !
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मि उत्तराखँडी छौ - यू शब्द ही अपणा आप ये ब्लाग क बारा मा बताणा कुण काफी छन। अपणी बोलि/भाषा(गढवाली/कुमाऊँनी) मा आप कुछ लिखण चाणा छवा त चलो दग्ड्या बणीक ये सफर मा साथ निभौला। अपणी संस्कृति क दगड जुडना क वास्ता हम तै अपण भाषा/बोलि से प्यार करनु चैंद। ह्वे जाओ तैयार अब हमर दगड .....अगर आप चाहणा छन त जरुर मितै बतैन अर मि आप तै शामिल करि दयूल ये ब्लाग का लेखक का रुप मा। आप क राय /प्रतिक्रिया/टिप्पणी की भी दरकार च ताकि हम अपणी भासा/बोलि क दगड प्रेम औरो ते भी सिखोला!! - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
ha ha , khoob boli bhaiji tumun...
जवाब देंहटाएंहा हा पराशर जी बहुत बढिया व्यंग्य.. जय बोला
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