"क्रिमुलोँ सी धार
बगणी छन उन्धार
क्वी बिँग्लु सार
क्वी बतालु बिचार
सुँग-सुँगऽ, सुँग-सुँगऽ
ऐका का पिछ्याड़ी द्वी
द्वीकोँ का पिछ्याड़ी...
अब क्या ब्वन
क्रिमुला भी जान्दा
बौड़ी कै त आन्दा
अपणा पुथलोँ तेँ
दुध-बाड़ी ल्यान्दा
य त क्रिमुलोँ से
परे ह्वै गै
बान्दरोँ सी ठटा ल्गै कै
अपणा काखी पै चिपकै कै
गरुड़ जनी उडै गै
जरा वैँ कु भी त स्वाचौँ
जौन काखी पै चिपकै कै
दूधैक धार गिचा पै लगै कै
अपणा खुच्ली मा सैवायी
जरा स्वाच...
जख तू रलौ
वखी बरकत रैली!"
(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)बगणी छन उन्धार
क्वी बिँग्लु सार
क्वी बतालु बिचार
सुँग-सुँगऽ, सुँग-सुँगऽ
ऐका का पिछ्याड़ी द्वी
द्वीकोँ का पिछ्याड़ी...
अब क्या ब्वन
क्रिमुला भी जान्दा
बौड़ी कै त आन्दा
अपणा पुथलोँ तेँ
दुध-बाड़ी ल्यान्दा
य त क्रिमुलोँ से
परे ह्वै गै
बान्दरोँ सी ठटा ल्गै कै
अपणा काखी पै चिपकै कै
गरुड़ जनी उडै गै
जरा वैँ कु भी त स्वाचौँ
जौन काखी पै चिपकै कै
दूधैक धार गिचा पै लगै कै
अपणा खुच्ली मा सैवायी
जरा स्वाच...
जख तू रलौ
वखी बरकत रैली!"
महेन्द्र सिंह राणा 'आजाद'
© सर्वाधिकार सुरक्षित
23/06/2012
वखी बरकत रैली .... भौत बढ़िया महेंद्र जी
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