कर्ज गाड़ गाडी
पुंगडी बेच - बेची
पोर वीं घडयाला धनी
कति, खाडु-बुगट्या मनी
फिर भी जन्या तनी !
मिन बोली ..,
कुछ फैदा हुण भी चकि, सुधि इनी
वा बोली ....
कुछ ना ..., अज्यु भी उनी , जन्या तनी !
मिन सवाल कै..
अग्वाडीकु कवी कार्यक्रम , या ह्वेगी
वो बोली ..
भैजी, बस छाया अर छादु पूजन रैगी !
मिन बोली -पूजा पूजा
तू त की हवेली ठीक पर हाँ
पूज्यरियुंकि पो- बहार , अर मजा एगी !
पराशर गौर
दिनाक २९ जनबरी २०११ समय १०.३४ पर
मि उत्तराखँडी छौ - यू शब्द ही अपणा आप ये ब्लाग क बारा मा बताणा कुण काफी छन। अपणी बोलि/भाषा(गढवाली/कुमाऊँनी) मा आप कुछ लिखण चाणा छवा त चलो दग्ड्या बणीक ये सफर मा साथ निभौला। अपणी संस्कृति क दगड जुडना क वास्ता हम तै अपण भाषा/बोलि से प्यार करनु चैंद। ह्वे जाओ तैयार अब हमर दगड .....अगर आप चाहणा छन त जरुर मितै बतैन अर मि आप तै शामिल करि दयूल ये ब्लाग का लेखक का रुप मा। आप क राय /प्रतिक्रिया/टिप्पणी की भी दरकार च ताकि हम अपणी भासा/बोलि क दगड प्रेम औरो ते भी सिखोला!! - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
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