एकल मी थै पूछी...
साब आप आसा बादी छा
या निराशाबादी ....!
मिन बोली ...
कैकी आशा, अर कैकी निराशाबादी
कनु सवाल छे तू कनु ?
अरे , भुला, मित ....,
"बादिल " ( गैस ) छो मुनु
मि उत्तराखँडी छौ - यू शब्द ही अपणा आप ये ब्लाग क बारा मा बताणा कुण काफी छन। अपणी बोलि/भाषा(गढवाली/कुमाऊँनी) मा आप कुछ लिखण चाणा छवा त चलो दग्ड्या बणीक ये सफर मा साथ निभौला। अपणी संस्कृति क दगड जुडना क वास्ता हम तै अपण भाषा/बोलि से प्यार करनु चैंद। ह्वे जाओ तैयार अब हमर दगड .....अगर आप चाहणा छन त जरुर मितै बतैन अर मि आप तै शामिल करि दयूल ये ब्लाग का लेखक का रुप मा। आप क राय /प्रतिक्रिया/टिप्पणी की भी दरकार च ताकि हम अपणी भासा/बोलि क दगड प्रेम औरो ते भी सिखोला!! - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
मिन बोली समधण जी ..
जवाब देंहटाएंयखी रै जावा ?
समधण बोली ..
रैनू त रै जादू पर ,
तुम्हारा समधी क्या ब्वाल्ला ,जर समझाया !
मिन बोली ..,
वांकी तुम फ़िक्र न कारा
समधी खुणि मी बोली द्युलू
भै , मयारू बदोबस्त ह्वैगी ...
तुम अपणु कैलीया !