मी उत्तराखंडी छौं
मी उत्तराखँडी छौ - यू शब्द ही अपणा आप ये ब्लाग क बारा मा बताणा कुण काफी छन। अपणी बोलि/भाषा(गढवाली/कुमाऊँनी) मा आप कुछ लिखण चाणा छवा त चलो दग्ड्या बणीक ये सफर मा साथ निभौला। अपणी संस्कृति क दगड जुडना क वास्ता हम तै अपण भाषा/बोलि से प्यार करनु चैंद। ह्वे जाओ तैयार अब हमर दगड .....अगर आप चाहणा छन त जरुर मितै बतैन अर मी आप तै शामिल करि दयूल ये ब्लाग का लेखक का रुप मा। आप क राय /प्रतिक्रिया/टिप्पणी की भी दरकार च ताकि हम अपणी भासा/बोलि क दगड प्रेम औरो ते भी सिखोला!! - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
गुरुवार, 8 फ़रवरी 2024
ऐतिहासिक समान नागरिक संहिता विधेयक-2024 उत्तराखण्ड विधानसभा म पारित
गुरुवार, 23 नवंबर 2023
इगास - उत्तराखण्ड कु लोकपर्व
उत्तराखण्ड म त्यौहारों कु अपर अलग महत्व
च। बगवाल ( दिवली ) क ठीक ग्यारह दिन बाद इगास मनये जांद। द्वि आखर - इगास क्या च,
किले मनये जांद अर कन म मनये जांद।
त्यौहार कै न कै मान्यता क दगड़ जुडया छन
– हमर सनातन धर्म म देबी दिबताओं क दगड़, क्षेत्रिय मान्यताओं क दगड़ या क्वी व्यक्ति
विशेष क दगड़।
इन मनै जांद कि रामचन्द्र जी क अयोध्या लौटsण
कि खबर हमर उत्तराखण्ड क पहाड़ों म ग्यारह दिन बाद मिली। उत्तराखण्ड क लुखों न दिया
जलैsन, भैलू जलैsन अर मिठsई
बटिन। बगवाल अर इगास द्वि त्यौहार ही धूमधाम
से मनये जंदिन।
एक कथा इन भी च कि तिब्बत
से लडै करण क वास्ता जब हमर क्षेत्र क सेना
माधो सिंह भण्डारी क नेतृत्व म जई छे जु वापिस नि आई त लोग घबरे गिन, शोक
म डूब गिन। माधो
सिंह भंडारी क विरोधि लुखोंsन माधो
सिंह क मरे जाणsक खबर फैला द्ययाई। माधो
सिंह भंडारी
उच्छनंदन गढ़ पहुंच गे छयाई अर र गढ़पति
की बेटी उदिना ते अपड़ दगड़ लये छयाई अर श्रीनगर कु युद्ध जीतीsकन ये दिन पर वापिस आई छयाई। तब समस्त क्षेत्रsक
लुखोंsन दीप जलेsकन खुसी मनेई।
एक और कथा
महाभारत काल से भी जुड़ी च। दंत
कथाओंsक
अनुसार महाभारत काल म भीम ते कै राक्षस
ते युद्धsक
चेतावनी दे छे। बिन्डि दिनो तक युद्ध चल
अर जब भीम वापस लौटिन त
पांडवोंsन
दीपोत्सव मनाई। बुले जांद कि ये अवसर
ते भी इगास क रूप म ही मने जांद।
गौं क सबी मनखि दिया जलन्दिन, भैलू जलन्दिन अर पकवान बणेन्दिन। भैलू खूब खिले जांद। भैलू जलाण क वास्ता चीड़ क डाsल
क लखड़ ( किले कि लीसू बंडी देर तक जलदू) कु
प्रयोग करदिन। बगवाल/इगास/बूढ़ी दिवाली क दिन
पूजा पाठ क बाद गौं क मनखि एकठ्ठा ह्वे कन भैलो खिलदिन। गौं क लोग करतब करदिन अर पारंपरिक
लोक गीतों ( भैलो रे भैलो, काखरी को रैलू / अर उज़्यलू आलो, अंधेरों
भागलो) पर नचदिन। पंडों, छन्चरी झूमेलों
जन नृत्य खूब नचे जंदिन।
आज देवोत्थान एकादशी भी हून्द। धार्मिक मान्यताओं क अनुसार सृष्टि क संचालक विष्णु जी दिबता चअर
मैना क योग निंद्रा से जगदिन अर पर पर कार्यभार
ते सम्भलदिन। मिठ्ठा करेला अर लाल बासमती कू भात बणाई जांद।
आप सब्यू ते इगास अर देवोत्थान एकादशी कि
हार्दिक बधै, शुभकामना छन
शनिवार, 18 नवंबर 2023
गुठयार लग्यूं च
खतणू च क्वी, बिराणू च क्वी
बुलणू च क्वी, सनकौणू च क्वी
बुतणू च क्वी, खाणू च क्वी
सर्याणू च
क्वी, बोकणू च क्वी
धाद लगणि च, कुछ त बटेणु च कखि
धुवां उठणू च, कुछ त फुकेंणु च कखि
धूल उडणि च, कुछ त सोरेणु च कखि
धूपेणु यख च,
दिबता नचणू च कखि
ठेकदार बणिक,
हेंक ते सताणा छन
लिखयूं हैंका
कू, जोर से बुलणा छन
ज्यूंद ते फुकणा,
मुरया ते नवाणा छन
अफू छन
पकौणा, हैँक ते कटणा छन
सब्यूं क,
अपर - अपर गुठयार लग्यूं च
घचपच म,
खमणाट तख खूब सुणेनि च
बिग्ड्यूं च,
मरखुया बणिक सिंग्याणु च
धद्याणु च,
मौका मिलद ही कच्याणु च
खिगताट कना,
अपरि हैन्स उड़ाणा छन
भरयूं पुटुक,
रवटी हैँककि चुंगन्याणा छन
नेता बण्या, अपरु
गुठयार म पौछाणा छन
मलासि कि, फुसलै
कि मौ चमकाणा छन
प्रतिबिम्ब
बड़थ्वाल
25 अक्टूबर,
2023