बुलदु च
गॉगल्स चढ़े की बौलां बीटे की
अपणी साने की रंगत मा र्ंग्यू
अदक्ची गढ़वेली बचे की
हिंदी अँग्रेजी रीमिक्स करी की
ने पीढ़ी को प्रतिनिधित्व करदू
चक्ड़ैत छ्वारा, देसीस्टाइल मा
ने जमानों कू स्वींसांट मा
बिंगदू भी च अर बुलदु भी च ....
बुलदु बल
गोर चराण मा अब सान कहाँ है
खेती बाड़ी मा इख क्या धरयू है
बाड़ी फाणू झुंगर गिचुंद नही जाता है
फास्ट फूड कॉन्टिनेन्टल छ्के की खाता हूँ
टुटी सड़क सुख्या गाड़ा गदोना मा
यीं खरडी पुंगड़ी डांडा मे क्या रखा है
गौं बजारे की अदकची अब चढ़ती नहीं
स्कॉच देसी बियर मा खूब रंगत आती है
बुलदु बल
अब गोर बखर नहीं चराना पड़ता है
दूध घी समणी झट से मिल जाता है
पल्यों झुली दाल भात सपोड़ेंन्द नी च
पंजाबी कड़ी दाल मखनी शौक से खांदू
फजल मा रूटी भुज्जी अब नी खयेन्द
ब्रेड टोस्ट बर्गर से ब्रेकफ़ास्ट मी करदू
घौर की साग सगौड़ी मे अब क्या रखा है
कीसे मे नोट जू चेणु वो झट आ जाता है
बुल्दू बल
हाँ कभी मुझे घेर गाँव की खुद लग जाती है
गढ़वाली गाणो सुन कर खैरी अपनी भगाता हूँ
ब्यो बरात मा गाणो ढ्स्का लगाण ज्यू बोलता
पर क्या बोल गौं जाणे का दिल नहीं बोलता
कबी सुच्दू भी छौं किले पहाड़ से भेर आया
फिर द्वी पैसा देखि की मन ललचा जाता है
कबी मन करता है काखड़ी अर आम चुराने का
चूना की रूटी अरसा अर स्वाल पकोड़े खाने का
बुलदु बल
देस बिदेस मा उत्तरखंडी पलायन पलायन बोलता
खुद बणी गे परिवार बणे की, हमको उंद धकेलता
आफू कुण सबै करदीन औरों कुण केरा त जाणा
राज्य/लोगो की क्वी नी सुच्दू सब अपणी चांदा
हमनू अपरु स्वाच त सब धे छ्न हमते लगाणा
बौड़ी आवा बल पलायन रोका, गौं ते अपर बचावा
शिक्षा नौकरी क कुछ कारा, त हम बी बौड़ी औला
तेरी सौं गढ़वाले अर राज्य की सेवा कुछ करला
प्रतिबिम्ब
बड़थ्वाल, १० नवंबर २०२०
गॉगल्स चढ़े की बौलां बीटे की
अपणी साने की रंगत मा र्ंग्यू
अदक्ची गढ़वेली बचे की
हिंदी अँग्रेजी रीमिक्स करी की
ने पीढ़ी को प्रतिनिधित्व करदू
चक्ड़ैत छ्वारा, देसीस्टाइल मा
ने जमानों कू स्वींसांट मा
बिंगदू भी च अर बुलदु भी च ....
गोर चराण मा अब सान कहाँ है
खेती बाड़ी मा इख क्या धरयू है
बाड़ी फाणू झुंगर गिचुंद नही जाता है
फास्ट फूड कॉन्टिनेन्टल छ्के की खाता हूँ
टुटी सड़क सुख्या गाड़ा गदोना मा
यीं खरडी पुंगड़ी डांडा मे क्या रखा है
गौं बजारे की अदकची अब चढ़ती नहीं
स्कॉच देसी बियर मा खूब रंगत आती है
अब गोर बखर नहीं चराना पड़ता है
दूध घी समणी झट से मिल जाता है
पल्यों झुली दाल भात सपोड़ेंन्द नी च
पंजाबी कड़ी दाल मखनी शौक से खांदू
फजल मा रूटी भुज्जी अब नी खयेन्द
ब्रेड टोस्ट बर्गर से ब्रेकफ़ास्ट मी करदू
घौर की साग सगौड़ी मे अब क्या रखा है
कीसे मे नोट जू चेणु वो झट आ जाता है
हाँ कभी मुझे घेर गाँव की खुद लग जाती है
गढ़वाली गाणो सुन कर खैरी अपनी भगाता हूँ
ब्यो बरात मा गाणो ढ्स्का लगाण ज्यू बोलता
पर क्या बोल गौं जाणे का दिल नहीं बोलता
कबी सुच्दू भी छौं किले पहाड़ से भेर आया
फिर द्वी पैसा देखि की मन ललचा जाता है
कबी मन करता है काखड़ी अर आम चुराने का
चूना की रूटी अरसा अर स्वाल पकोड़े खाने का
देस बिदेस मा उत्तरखंडी पलायन पलायन बोलता
खुद बणी गे परिवार बणे की, हमको उंद धकेलता
आफू कुण सबै करदीन औरों कुण केरा त जाणा
राज्य/लोगो की क्वी नी सुच्दू सब अपणी चांदा
हमनू अपरु स्वाच त सब धे छ्न हमते लगाणा
बौड़ी आवा बल पलायन रोका, गौं ते अपर बचावा
शिक्षा नौकरी क कुछ कारा, त हम बी बौड़ी औला
तेरी सौं गढ़वाले अर राज्य की सेवा कुछ करला