गुरुवार, 23 नवंबर 2023

इगास - उत्तराखण्ड कु लोकपर्व



इगास - 23 नवंबर, 2023 

उत्तराखण्ड म त्यौहारों कु अपर अलग महत्व च। बगवाल ( दिवली ) क ठीक ग्यारह दिन बाद इगास मनये जांद। द्वि आखर - इगास क्या च, किले मनये जांद अर कन  म मनये  जांद।

त्यौहार कै न कै मान्यता क दगड़ जुडया छन – हमर सनातन धर्म म देबी दिबताओं क दगड़, क्षेत्रिय मान्यताओं क दगड़ या क्वी व्यक्ति विशेष  क दगड़।

इन मनै जांद कि रामचन्द्र जी क अयोध्या लौटsण कि खबर हमर उत्तराखण्ड क पहाड़ों म ग्यारह दिन बाद मिली। उत्तराखण्ड क लुखों न दिया जलैsन, भैलू जलैsन अर मिठsई बटिन।  बगवाल अर इगास द्वि त्यौहार ही धूमधाम से मनये जंदिन।    

एक कथा इन भी च कि तिब्बत से लडै करण क वास्ता जब हमर क्षेत्र क सेना माधो सिंह भण्डारी क नेतृत्व म जई छे जु वापिस नि आई त लोग घबरे गिन, शोक म डूब गिन। माधो सिंह भंडारी क विरोधि लुखोंsमाधो सिंह क मरे जाणsक खबर फैला द्ययाई।  माधो सिंह  भंडारी उच्छनंदन गढ़ पहुंच गे छयाई अर र गढ़पति की बेटी उदिना ते अपड़  दगड़ लये छयाई अर श्रीनगर कु युद्ध जीतीsकन  ये दिन पर वापिस  आई छयाई।    तब समस्त क्षेत्रsक लुखोंsन दीप जलेsकन खुसी मनेई।  

एक और कथा महाभारत काल से भी जुड़ी । दंत कथाओंsक अनुसार महाभारत काल म भीम ते कै राक्षस ते  युद्धsक चेतावनी दे छेबिन्डि दिनो तक युद्ध चल अर जब भीम वापस लौटिन त पांडवोंsन दीपोत्सव मनाई।  बुले जांद कि ये अवसर ते भी इगास क रूप म ही मने जांद।

गौं क सबी मनखि दिया जलन्दिन, भैलू जलन्दिन  अर पकवान बणेन्दिन। भैलू खूब खिले जांद। भैलू जलाण  क वास्ता चीड़ क डाsल क लखड़ ( किले कि लीसू बंडी  देर तक जलदू) कु प्रयोग करदिन।  बगवाल/इगास/बूढ़ी दिवाली क दिन पूजा पाठ क बाद गौं क मनखि एकठ्ठा ह्वे कन भैलो खिलदिन। गौं क लोग करतब करदिन अर पारंपरिक लोक गीतों ( भैलो रे भैलो, काखरी को रैलू / अर उज़्यलू आलो,  अंधेरों  भागलो)  पर नचदिन। पंडों, छन्चरी झूमेलों जन नृत्य खूब नचे  जंदिन।   

आज देवोत्थान एकादशी भी हून्द। धार्मिक मान्यताओं क अनुसार सृष्टि क संचालक विष्णु जी दिबता चअर मैना क  योग निंद्रा से जगदिन अर पर पर कार्यभार ते सम्भलदिन। मिठ्ठा करेला अर लाल बासमती कू भात बणाई जांद।

आप सब्यू ते इगास अर देवोत्थान एकादशी कि हार्दिक बधै, शुभकामना छन  

(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)