शुक्रवार, 14 मई 2010

हे जी सुणा......छी भै




कुछ याद आई गौं का बारा मा त यू भी याद आई कि उत्तराखंड मा बिठला द्वी शब्दू का प्रयोग करदिन.. 
"हे जी सुणा" अर "छी भै" त सोची की द्वी शब्द मी भी लेखि दूंय नोंक  झोंक



हे जी सुणा
उठो दि घाम ऎ गै
चाय लयो,चिनी की गुड़
          लोलि जरा झूठी केरी ले
          फिर नी चैणी चीनी न गुड़
छी भै........

हे जी सुणा
सरग च गगराणू
बरखा च हूणी
          चल रुझि जौला
          गीत हम भी लगोला


छी भै........

हे जी सुणा
कांया मा खैला
भुज्जी मा कि बणो साग 
          सुणदि! तू इखमा बैठ 
          तेर कचपोली बणोदु आज


छी भै........

हे जी सुणा
चलो घूमि ओला
भितरा भीतर बौले ग्यों
          चल मेरी नारंगी दाणी
          ल्योल वापिस यीं मुखडी कू पाणी


छी भै........

हे जी सुणा
कंरी मेरी भी सान
कन छौ मी लगणू
        जचणी छै लगणी छै मैडम 
        भगै कन ली जौ त्वेते
छी भै........



हे जी सुणा
ढलकणी च उमर
क्या मी बुढेग्यो
         केन ब्वाल, केकि आंख फुटिन
         मेरी लाटी तू स्वाणी छै दिखेणी


छी भै........



हे जी सुणा
रात प्वड़िगे
चलो सै जोला
          चुची जुन्ख्यालि च रात
          कुछ  लगोला  छुई़ बात


छी भै........




हे जी सुणा
क्या छां तुम सुचणा
हाथ लगलू तुमर चुसणा
          ल्यादि इनै तौ कुंगली हथि
          फिर क्या सुचण सिरफ चुसणा


छी भै........


हे जी सुणा
खुद लगी च माँ की
मैत जाण क ज्यू च बुनु
        जाणी छै त ज्याले पर
        पर मितै तेरी खुद लगली त 
छी भै........



(प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल , अबु धाबी यूएई)



(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)

मंगलवार, 11 मई 2010

औरो तै देखा देखी मी भी, पुडीग्यो ये जंजाल मा

औरो तै देखा देखी मी भी, पुडीग्यो  ये  जंजाल   मा
रुप्या पाणि खत्म हवेगेन, बणि ग्यो मी कन्गाल हां - २
डयुटि बटि जब औन्दु घौर, ब्वारि पुडि छ खाट मा
कभी कपाल, कभी टन्गडु, कभी दर्द पेट मा
कभी दर्द पेट मा (कोरस) - २

ब्यो सि पहली स्वर्ग समान, लगदु ये संसार मा
छ्त्यानाश हवेगे अब ता, कजांण क औण मा - २
ब्यो करि तै सोची मीन रौलू, सुख चैन मा
और जादा मुन्डारु हवेगे, यी सरु का औण मा
यु सरु का औण मा (कोरस) - २

डयुटी बटि जब औन्दु देर सी, खाणु बणाणु रात मा
ब्वारी बिचारि ताणिक सियी, वीतै किलाणु हाथ मा - २
सासू ब्वारी कि हवायी लडायी, तब ल्यो मी साथ मा
जू भी सपना देखी छ मीन, सब मिली गे राख मा
सब मिली गे राख मा (कोरस) - २

ब्यो करि तै पछ्तै ग्यो मी, हवेगेन यु हाल हां
डाक्टरो कु चक्कर काटी, मुरिग्यो मी ये साल मा - २
भाड मजान्दू कपडा धोन्दू, कै मा ना तुम बुल्यान
जन मेरा हाल हुया छ्न, तन कैक ना हुयान
तन कैक ना हुयान (कोरस) - २

नयी सुट साडी-बिलोज, लेन्दु हर तन्खवा मा
अपण ईन हाल हुया कि, दिन कटणु छ थिगलो मा - २
औरो तै देखा देखी मी भी, पुडी ग्यो ये जंजाल मा
रुप्या पाणि खत्म हवेगेन, बणि ग्यो मी कन्गाल हां
बणि ग्यो मी कन्गाल हां (कोरस) - २
बणि ग्यो मी कन्गाल हां, बणि ग्यो मी कन्गाल हां
बणि ग्यो मी कन्गाल हां,बणि ग्यो मी कन्गाल हां...................

विनोद जेठुडी

रविवार, 9 मई 2010

हैप्पी न्यु ईयर

पुराणु साल छोडी करला, नयु कू सफ़र
तुम तै म्यारु पहुंची यारॊ, हैप्पी न्यु ईयर - २
हैंसी हैंसी और खुशी खुशी, कटू यु सफ़र
हैपी न्यु ईयर दगडियो, हैप्पी न्यु ईयर

दुआ मी करदु यारो, सदा रैया सुखी......
औण वाल साल तुमतै, दिया हर खुशी - २
हैंसी- हैंसी.......
हैंसी- हैंसी और खुशी-खुशी कटू यु सफ़र
सभी भाई- बहिण्यो तै मेरु हैपी नयु ईयर
हैपी न्यु ईयर दगडियो हैप्पी न्यु ईयर

एक बोतल चलली विस्की.... एक बोतल वियर
मिली-जुली कि रौला सभी, हेल्लो माई डियर - २
मिली-जुली............
मिली-जुली और हंसी खेली तै कटू यु सफ़र
सभी दगडियों तै मेरू..... हैप्पी नयु ईयर
हैपी न्यु ईयर दगडियो हैप्पी न्यु ईयर

जिन्दगी कि दौड मा, क्वी छुडू ना पैथर
हाथ पकडी जौला दगडी, भोल क्या खबर - २
जितका जैसी...........
जितका जैसी भलू हवे साकु, छोडा ना कसर
सभी बुढ्या ज्वान दगडियो, हैप्पी न्यु ईयर
हैपी न्यु ईयर दगडियो हैप्पी न्यु ईयर

हैपी न्यु ईयर दगडियो हैप्पी न्यु ईयर......
हैपी न्यु ईयर दगडियो हैप्पी न्यु ईयर..........

गीतकार - विनोद जेठुडी, गायक - श्री दिनेश रावत व एलबम - "दगडियों कि दगडी"
विडियो कि बहुत बुरी क्वालीटी के लिये खेद व अफ़सोस:-