गुरुवार, 5 नवंबर 2020

अरसा कुण नी तरसा




हिंदी कू अरसा मतलब हूंद टेम च
गढ़वली अरसा मतलब हूंद क्ल्यो च 
देवभूमि क यू एक प्रसिद मिस्ठान च
ब्यो बरतियू मा यू हमरू सम्मान च 
उन बुल्दिन अरसा कर्नाटक बटी अयूँ च
छ्याई अरसालु हमर इख अरसा बण्यू च 
उत्तराखंड मा बरस्यू बटी खूब छयूँ च 
देवभूमि मा अरसा शंकरचार्य क ल्यूँ च 

याद कराणू छौ तुम भी अरसा बणे ल्यावा
चोलों ते राती कुण भीगे की धेरी द्यावा 
उरख्याली मा कूटो या तुम पीसी ल्यावा 
गुड़ चूरी क या ताक बणे सौंफ मिले ल्यावा
ज़रा पाणी, घ्यू मिले की लोई बणे द्यावा
तिल डाली की  अरसों ते न्ये रूप द्यावा 
सरोंसू तेल मा तली की अरसा बणे ल्यावा
गरम खावा चाहे मेना भर कू धेरी द्यावा 

देवभूमि का खाणों मा मिलदी च खूब रस्याण 
अरसों क क्या बुलण अर तुमते अब क्या सुणान
रिंगाsले क बणी हथकंडी च सुबकामो क पछाण 
मालू अर तिमला क पतो मा अरसों कू सम्मूण
मीठे दुनिया भरे की पर अरसा कू स्वाद बेजोड़
भे बंदो कू परेम अर सुसरास मा नी यांक तोड़ 
स्वालों पकोड़ो दगड़ी अरसा बणी हमरी पेछाण
नी बिसरी जेन हमरी संस्कृति अर हमरी पछाण

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल, ०५/११/२०२०






(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)

मंगलवार, 3 नवंबर 2020

ठुंगार






आज सूबेर सूबेर
हेर मरच
कमर मटकेकन
म्यार तरफ दिखण बैठ
लगणी त छे
बिगरेली बांद जन
अर मुल मुल हेंसणी भी छे
हंसदा हंसदा
जन बुल्णी होली
पहाड़ ते बिसर ग्यों तुम
मीतेई नी बिसर ह्वेला
हर खाणा कू स्वाद
मेर ठुंगार
लिया बिन
कन मा बिसर सकद्वा तुम

सिलबट्टा मा खड़ा लूण
धनिया अर लेसुण दगड़
पिसी की त मेर माया
उतराखंडी क जीभ हे बतेली
कखड़ी आम अमरूद
चोरsक खई त होली
कखी न कखी
मेरो स्वाद
मेर याद
तुमों मा सम्मूण जन होली

अरे सूणा
जख भी ह्वेला तुम
रुटी भुझी खावा
दाल भात खावा
फाणू भात खावा
झुल्ली भात खावा
चेस्वणी भात खावा
उत्तराखंडी खाणा
बिसरेन न
अर मेर ठुंगार दगड़
स्वाद तुम ल्यावा

बस हेर मरच दगड़
जरा सी संवाद
झट तोड़ी क लयों,
दाल भात अर भुजी
क दगड़ लेकन ठुंगार
गीच मा मेरे आईगे स्वाद
उल्यारु ज्यू
सगोड़ा अर गौं का
सुपीन दिखण बैठ ग्याई

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ३ नवंबर २०२०


(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)