शुक्रवार, 27 मई 2011

कुजणि ज्या हुणों हवालों



     
       तेर मने की छ्वीं
मेर जिकुडी मा
कुतगली लगे जंदीन

कुयेड़ लग्यु हवाल जन
कन मा दिखुलूँ तेर मुखड़ि
नी बुथै सकणु छौं ये मन ते

सुचणु छौं क्या बोल
जणदु छौं क्या बुल्ण
पर बोलि नी सकणु छौं

रगरयाणु रेंद इनै उनै
कखि बिसरी नी जौं
तबि बरणाणु रेंद त्यार नौं

हरची च निंद
पर सुपिणा दिखणु रेंद
इन पैल कबि नी ह्वाई

केकि खाणी केकि पीणी
हरचि ग्याई भूख तीस
कुजणि ज्या ह्वै हवालों

जुन्यालि रात मा
तारा गीणणु रेंदु
त्वै सोचि की बचाणु रेंदु

जख तख,भीतर भैर
त्वी नज़र आंदी
बौलेयूं त नी गयूं मी कखि


        कुजणि ज्या ह्वे हवालो

                                                   प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल

(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)

शनिवार, 21 मई 2011

यखुलि......



बरसों बटि छौं, इखम ही
कथगा मौसम दिखेनी
आन्द जांद ये बाटा मा
कथुक मन्खि दिखेनी
साक्षी छौं अपणों कु
खुसि अर दु:खो कु

बुधवार, 18 मई 2011

गढ़वाली कुमाऊँनी शब्द: Day - दिन - बार - वार

आए आपको अब गढ़ कुमौ शब्दों से परिचय कराया जाये     गढ़वाली कुमाऊँनी शब्द: Day - दिन - बार - वार  पूरा लेख इस लिंक पर पढ़े।

(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)

गढ़वाली कुमाऊँनी शब्द: गढ़वाली कुमाऊँनी की अपनी विशेषताए

शुक्रवार, 18 मार्च 2011

छुरोली [होली] पर एक रैबार



छुरोली [होली] पर एक रैबार

होली का रंग मा रंगयु च हर एक उत्तराखंडी
गढ़वाल कुमाऊँ बटि अई च कलयो की कंडी

छुरोली मा रंगमत हुयूं च बणे कअपरी टोली
ढ़ोल दमौ का दगड़ी नाचि क मनाणा छन होली

होली का हुलयार अयां छन करो स्वागत हे उत्तराखंडी
लगावा प्रेम क रंगू की पिठेई अर भिटें ल्यावा वुं दगड़ी

याद कारा पित्रों तें, आश्रीवाद अपर दिबतों कु तुम ल्यावा
बेरंग स्वार्थ ते छोड़ी द्यावा, हम का रंग मा तुम रंगी जावा

आज उत्तराखंडी तुम एक होई जावा, मन को मुटाव तुछोड़ी द्यावा
हर रंग ते आज मिल द्यावा, उत्तराखंड मा एक नै सुबेर लेई आवा 

प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल 


(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

सुधि सुधि ,मी , स्वीणा नि दिखावा !

बोडी,
अफ़ी अफुम छै बुनी ..
यखका सुचणा छना ..
कि, उन्दु जौला ......
अर तखुन्दा (प्रवासी ) सुचणा छन
कि उबू जौला .....!

मिन बोली , बोडी...,
तू क्या छै सुचणी ?

बोडिल ब्वाळ ...
ना यख वालों न रुकुनु ?
अर , ना ताल वालो ल आणु
गिचा बाबू .. क्या .... ???????
जू बुल्दन बुल्द जा
जू सुचणा छन , सुचुद जा ..

आणा छा, त आवा
जाणा छा , त जावा
पर सुधी सुधी , मी थै
स्वीणा त, नि दिखावा !

पराशर गौर
१८ मई २०१० रात १०२१ पर
कैनाडा

बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

भांची

दि उ .....
फुंडू फुका यार ...
कैकी छा छुई लगाणा !

इत्कै गाल गाल अ ईच नौनी
त,
गंगाजिम डाल दया
वीथै भी अर तुम थै भी मुक्ति मिली जाली
क्या समझ्य !?
नि बिंगा ??
खत्यु च खत्यु !

पराशर गौर
मई १४ स्याम ५ १७ पर २०१०

बदोबस्त / एक MAZZAK

मिन बोली समधण जी ..
यखी रै जावा ?
समधण बोली ..
रैनू त रै जादू पर ,
तुम्हारा समधी क्या ब्वाल्ला ,जर समझाया !
मिन बोली ..,
वांकी तुम फ़िक्र न कारा
समधी खुणि मी बोली द्युलू
भै , मयारू बदोबस्त ह्वैगी ...
तुम अपणु कैलीया !

पराशर गौर
मी २० मई २०१० दिन्म २. बजी !

बादी

एकल मी थै पूछी...
साब आप आसा बादी छा
या निराशाबादी ....!
मिन बोली ...
कैकी आशा, अर कैकी निराशाबादी
कनु सवाल छे तू कनु ?
अरे , भुला, मित ....,
"बादिल " ( गैस ) छो मुनु

द ब्वाला !

( चुनाऊ जितने के बाद )

द ब्वाला !

कांग्रेश बोनी च ... कोच स्यु ?
बीजेपी बोनी च .. कोच भाई यु ?
यूकेडी.. बोनी च .. कोच उ ?

मिन बोली . मी, नि पच्याण छा
मी मतदाता छो , मतदाता
तुम स्ब्यु थै क्या ह्वेगे ?
वो तिन्युं बोली .. वो अछा अच्हा..
ह्या यु , ५ सालम .....,
बहुत कुछ बदिलिगे !

पराशर गौर मई २१ /10

द्याखोदी !

जजमानन पण्डाजी से बोली ..
पंडाजी , जर ई जल्म्पत्री मिल्या क्य ?
पंडाजील पत्री देखी , बोली ..
नौनी की कुंडलिम दूसरा स्थानम कांग्रेस
चौथम बी जे पी …….
अर सप्तमम काम्निस्ट बैट्या छंन !
एक हैका थै देख देखी
अपणी अपणी चाल चलना छन !

जजमान इका भाग्य थै दिखणा छन
आरजेडी अर समाज्बादी ,
ब्यो का बाद उन त , सब ठीक ठाक छ
पर डैर याकि चा ….
नाती नतणों हवाला नक्सलवादी !

"कुदरतो कहर "

"कुदरतो कहर "

ये बसगाल
येसु बसगाल
भैर /भित्तर , छन्यूमा
पाणी ही पाणी !

जै देखि ,
डनडयली / वबरी हिलिनी
ग़ोउर- ब छु रु कांपा ...
धुर्पल्युमा थर्पियु दयबता डैरी !

कूडी चुइनी / फटली चुइनि
उणी चुइनी / कुणी चुइनी
धुर्पली चुइनी ......
इन चुइनी की, जों देखि
आंखियु का आंसू भी कम पड़गी !

पराशर गौर
सितम्बर २२ . २०१० सुबह १०. ३० बजे

द ब्वाला , पतै नि !

द ब्वाला पतै नि !


रुडियु कु घाम
सौंण/भादौ की बस्गाल
पूस /मौ की ठंड
चैत /बैसाखे मौलार
दीदा ....उत ..,
म्यार गौमै ही रैगी !

यखत, न पाणी
न ठंड, न बरखा , न घाम
यखत बस काम ही काम !

यखत,
रात दिनों पते ही नि
कबरी रूडी गे , कबरी सौण
कबगे -पूस /मौ
गे कबरी चैत /बैसाख प्तै नि !

यखत पता च बस ,
कब दींण क्वाटरो किराया
राशन पाणिकु बिल
यु बिल ,वो बिल अर स्यु बिल
कब बितिगे इनमा उम्र पतै नि !

पराशर गौर
दिनाक २९ जनबरी २०११ समय १.४६ दिन्म

अज्यु भी

कर्ज गाड़ गाडी
पुंगडी बेच - बेची
पोर वीं घडयाला धनी
कति, खाडु-बुगट्या मनी
फिर भी जन्या तनी !
मिन बोली ..,
कुछ फैदा हुण भी चकि, सुधि इनी
वा बोली ....
कुछ ना ..., अज्यु भी उनी , जन्या तनी !
मिन सवाल कै..
अग्वाडीकु कवी कार्यक्रम , या ह्वेगी
वो बोली ..
भैजी, बस छाया अर छादु पूजन रैगी !
मिन बोली -पूजा पूजा
तू त की हवेली ठीक पर हाँ
पूज्यरियुंकि पो- बहार , अर मजा एगी !

पराशर गौर
दिनाक २९ जनबरी २०११ समय १०.३४ पर

वापसी !

बर्षो का बाद ,आज ....
लौटियु मी अपणा मुल्क
सब बन्धनों थै तोडी
सब सरहदों थै लांघी , छोड़ी
ज्युदु ना ........
बल्कि बणीकि राख
माटै कि क्मोलिम !

jab तक ज़िंदा ऱौ
सदान मयारू पहाड़ --------
एक तस्बीर बणी रा
म्यारा मन मा !

जै थै मी , देखीत सकुदु छो
महशुस भी कैरी सकदु छो
पर झणी किलै.........
वख वापस लौटण पर
मेरी मज़बूरी मी थै कैकी मजबूर
मी पर खुटली लगै दीदी छै !

हरिद्वारम,
जनी म्यारा अपणोन
माटे कम्वालीकु मुख खोली
म्यारू रंगुण बोली .....
आजाद ह्वेग्यु आज मी
वी घुट्ली से
एकी अपणी धरती म़ा !

व धरती -----------
जै कि माटिम मिल
लदवडि लस्कै लस्कै
लिस्ग्वारा लगैनी
जै कि म्याल्म मिन
घुटनों क बल चल चली
गुवाय लगैनी ------
जैमा कभी कभी
थाह थाह लींद लींद पतडम पोडू
डंडयालम !

जख ......
ब्वै की खुच्लिम सियु
बे-फिकरी से
भैजी क कन्दोमा चैड्यु
दीदी का हतोमा ह्वली खेली
ददी की ऊँगली पकड़ी च्ल्यु
बाबाजी क खुट्युमाँ धुध भाती खेली

जख ------------
गोरु पांति चरैनी
लुखुकी सग्व्डीयुमा
ककड़ी - मुंगरी चुरैनी
रोज लुखुका औलाणा सुणी !
दख सिर्फ ये बातो च
डंडी कंठी , घाड गदेरा
तमाशा . म्यला ख्याला
सब उनी राला , उनी हवाला
पर मी नि रोलु ....!

जनी मेरी राख
किमोली बीटी भैर आई
और हवा से मिली
उन्मत /स्वछन्द ह्वोकी व
बथो का दगड उडी
एक अंतहीन दिशा की तरफ !

parashar gaur
२१ जनबरी २०१० सुबह १..१३ पर

शनिवार, 29 जनवरी 2011

ब्रेकिंग न्यूज " भुल्ला गोल " (द्वारा - पराशर गौड)




टेलीबिजन पर खबर छे चनी कि, एकाएक खबर बंचण वलाल बीच्मै खबर रोकी बोली -- " प्रिय सुनण बालो , आप थै मी एक, ब्रेकिंग न्यूज छो बताणु ! अभी अभी हमरा सम्बादाता खबरची सिंघल एक जरुरी खबर भेजी कि पहाड़ी भुल्ला ( उत्तराखंड ) गोल ह्वेगी ! याने हर्ची गे ! जै थै भी मिल जाव या कखी दिखेजा त तुरन्तु देहरादून माँ बिधान सभा का अग्वाड़ी घड्यालु धोरी चंदरसिंह गड्वाली या इन्दर मोहन बडूनी सूचित करीनी ! सूचित करण वालो थै बतौर इनाम का उ थै " बड़ा भैजी " ( मुख्या मंत्री ) पद से समानित करे जालु !

ये पहाड़ी भुल्ला कि उम्र १० साल अर कुछ मैना कि च ! ब्ये -बाबुकू त, कुछ आता प़ता नी ! पर हां, सुणम आई कि जनि पैदा हवे छो ! बड़ा भैज्युन ये थै समणी कैकी अपणी अपणी मवासी बणऩे



कि सोची याली छे ! १० सालम उनत द्वी बड़ा भैजी हूँण चैदा छा ! अर, छे भी छा ! हत अर कमल ! पर गजब ही हवे , येल द्वी का बजाह १० सालम पट ५ दिखनी ! शैद ये भुला पर यून , जरूरत से ज्यादा दबो डालिदे जणी ! हवे सकद येकी उन्न्नती अर प्रगति पर उन ध्यान ही, नी दे हो ! क्या पता उन येसे क्या क्या बादा कै होला ! क्या पता यून वेसे बोली हो, कि हम , त्वे खुणी दुसान्दम ( गैरीसैण ) एक मकान लागोला ! जख बीटी तू द्वी जनै देखि सकली ! क्या पता बोली होलू कि, तू अपणा भाई बन्दों से बे- रोक टक्का मिल सकदी ! अर कैथे मीलणी दे हो ? क्या पता ! यु द्वी भयुन कमल अर हतल १० साल माँ ये पर न जाणी क्या क्या कै हो ? यु हालम, अर परेशानिम ! शैद बिचरल गोल हुणेम ही अपणी भलै समझे हो !

जनता से अपील च कि वो लालबती माँ बैठ्या सफ़ेद कुर्ता सुलार धारी यु बड़ा- छुटा भैज्यु थै जरुर दिख्या ! क्या पत्ता यून मयारू ये भुला थै अपणा स्वार्थ का बाण कखी अपणा किस्सा हुन्द त नी लुकायु होलु ! या फिर गिर्दा ,या नरेंदर सिंह नेगी या पराशर कि कविता , गीत य व्यंग माँ दिखया ! ये भुलल यु १० सालो माँ कै मंत्री ,कै सचिब , कै स्कीम दिखिनी ! इ भी हवे सकद कि युकी रात दिने कि झूठी कस्मा बादो से तंग येकी काखी लुक्की गे हो ? आजा जु बड़ा भैजी ( बतमान मुख्य मंत्री ) छन ! उसे बिशेष रूप से दर खासत च कि अगर आप अभी नी खुजैल्या वे थै अर वेका बारम नी सुचिल्या त आन वाला समय माँ आप अफु थै भी खुज्याँणम भी मुश्किल हवे जाली !

पराशर गौर
दिनाक २८ जनबरी २०११ समय ८.१६ रात



(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)

गुरुवार, 27 जनवरी 2011

बाटा / गुर्बटा ( द्वारा - पराशर गौर )








मी थै,
तलाश च, उ बाटों की
जु, पौचै दी मीथै
वापस म्यारा गौं !

बरसू पैली,
जौ बाटो , गुर्बटो, पगडण्डी बटी
लामुन्डदु फिसल्दु, सम्भाल्दु
पुंगड्यू की मिंड्यू थामी थामी
एगे छो ,
उ सब्यु थै छोडि
एक नई दिशा की तलाश माँ !

खुटा,
अभी भी चानलणा छन
बराबर एक नई दिशा की खोज माँ !
नजर ,
अभी भी खुज्याणी छन
नया बाटो थै !

पर,
वो बाटा , वो गुर्बटा जु
अभी भी म्यारा जहनम छन
जोंकी तासबीर ,
दिन -प्रति -दिन धुंधली हुणी छन
कही हर्ची नि जै वो ?
हरचण पैली, एक बार ....
उ बाटो से फिर गुजन चांदू !

जैमा मेरु बचपन बीती
मिन हिटण सीखी
एक बार ,
उ पुग़ड्यू की मीन्ड्यु थै छुण चांदु
जै की माटिकी सौंधी गंध
अभी भी मेरी हाथ ग्वालियु म चिपकी च !

पराशर गौर
कापी@राईट
२६ जनबरी २०११ समय २ बजे दिनम




(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)

सोमवार, 10 जनवरी 2011

कौथिग 2011 - यूएई [वीडियो]



उत्तराखंड एशोसियेशन आफ एमीरात - यूएई ग्रुप  द्वारा प्रस्तुति 

(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)

रविवार, 9 जनवरी 2011

वसुंधरा रतुड़ी़ - द लिटिल चैंप

कौथिग 2011 - यूएई ग्रुप द्वारा प्रस्तुत 





- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)

कौथिग 2011 - यूएई


इन ह्वे कौथिग..


जब जलि यूएई मा एक जोत
'दीपक' न करि तब शुरुआत

'मथुरा' जी न तब रंग दिखे
'सुबह का भूला' हम ते दिखे

करि सबी मेहमानो कू स्वागत
फूल देनि जब बच्चो न उंका हाथ

'प्रीतम' जी न याद करि सब दिबतो ते
फिर अपणा गीतो से ऊना नचै सब्यू ते

'संगीता' जी का सुर तब इन लगेनि
खुद लगै कि हमरि,  खुद मिटै गैनि

'हरियाला' जी न जिकुडी हमरी हेरि केरि दे
बेडु पाको अर रुमाल क दगडी सब्यू ते नचै दे

'वसुका सुर खूब गुंजिन यूएई मा
सबी उत्तराखंडी याद राखल दिल मा

'अरुण' अर 'विवेक' ना भी खूब महफिल सजैई
'ज्ञान' अर 'बंसत' जी ना भी सब्यू कु दिल लुभैई

इखे कि प्रतिभाओ कुण अब क्या बुलण
खौलें ग्याओ देखि नाटक अर उंको नचण

बिना एक दुसरा क सहयोग क्वी काम नी ह्वे सकदू
'यूएई ग्रुप' इन सबी लुखो कु दिल से धन्यवाद करदू 

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल