गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

नव वर्ष की हार्दिक सुभकामनाये.(Happy New Year 2011)

आप सभी दगडियों तै नयू साल कु हार्दिक शुभकामनायें, औण वालु ये नव वर्ष मा आप और आप कू परिवार मा खूशियो की बहार हो, चारो तरह शुख और शान्ति कु माहौल हो.ईन दुवा मी आप सभी दगडियो तै और आपकू परिवार कु वस्त करदू..अपणु सुभकामना सन्देश आप तक ये गीत कु माध्यम सी पहुंचाणू छौ..."जय उत्तराखन्ड जय भारत"
 

पुराणु साल छोडी करला, नयू कू सफ़र
तुम तै म्यारु पहुंची यारो, हैप्पी नयू इयर - २
हैंसी हैंसी और खुशी खुशी, कटू यु सफ़र
हैपी नयू इयर दगडियो, हैप्पी नयू इयर

दुआ मी करदु यारो, सदा रैया सुखी......
औण वाल साल तुमतै, दिया हर खुशी - २
हैंसी- हैंसी.......
हैंसी- हैंसी और खुशी-खुशी कटू यू सफ़र
सभी भाई- बहिण्यो तै मेरु हैपी नयू इयर
हैपी नयू इयर दगडियो हैप्पी नयू इयर

एक बोतल चलली विस्की.... एक बोतल वियर
मिली-जुली कि रौला सभी, हेल्लो माइ डियर - २
मिली-जुली............
मिली-जुली और हंसी खेली तै कटु यू सफ़र
सभी दगडियों तै मेरू..... हैप्पी नयू इयर
हैपी नयू इयर दगडियो, हैप्पी नयू इयर

जिन्दगी की दौड मा, क्वी छुडू ना पैथर
हाथ पकडी जौला दगडी, भोल क्या खबर.? - २
जितका जैसी...........
जितका जैसी भलू हवे साकू, छोडा ना कसर
सभी बुढ्या ज्वान दगडियो, हैप्पी नयू इयर
हैपी नयू इयर दगडियो हैप्पी नयू इयर

हैपी नयू इयर दगडियो हैप्पी नयू इयर......
हैपी नयू इयर दगडियो हैप्पी नयू इयर..........

गीतकार - विनोद जेठुडी, गायक - श्री दिनेश रावत व एलबम - "दगडियों की दगडी"
Copyright © 2010, Vinod Jethuri, http://www.vinodjethuri.blogspot.com/
(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)

कौथिक मा राजी-खुशी, रन्त-रैबार और सेवा सौन्यी

पिछले साल मीन दुबई (दुबईखाल) की कौथिक क उपर एक गीत लिखी छ. और ये साल कू कौथिक कु अवसर पर ये गीत तै आप सभी दगडियो खुनी सुणू तै भीजणू छौ..! ये गीत मा गांव बटी अयी बौजी जी की छवी-बत (रैबार) परदेश मा नौकरी करणू द्योरा जी की दगडी दिखायी छ.. आशा करदू की आप तै पसन्द आली..!
पहली-पहली मी सेवा लागान्दू,,,
दुजा मी खुशी मनान्दू,,
तीजा माया उलार...................
घरबटी तुम.. अंया बौजी, क्या लयु रैबार.. -२ (मेल)

पहली- पहली मी सेवा सलान्दू,,,
दुजा मी खुशी मनान्दू,,
तीजा माया उलार................
घर मा सभी..राजी-खुशी, डांडी-कांठियों मा बहार..- २ (फ़ेमेल)

खुद लगी छ मी भी जान्दू,,,
ना बौजी मी अब नी रौन्दू,,
मी भी जाणु घौर.................
सालो हवेगे खुद लगीं अब नी रौन्दू और... - २ (मेल)

ना दयोरा तू ईन ना बोदी,,,
घर जाण कि छ्वी ना लौदी,,
क्या करली घौर...................
नौकरी तै क्या मिलली, क्या होलु पगार..- २ (फ़ेमेल)

मांजी बाबा कि याद औन्दी,,,
डांडी-कान्ठियों की, खुद सतान्दी
करियाली मीन सौर.......................
देखा देखि पहुन्चीगे मी भी, सात समुद्र पोर..-२ (मेल)

हे दयोरा तु, खुब ही बोदी,,,
अपण देव,भुमी रौतेली,,
जौला बौडी घौर.........................
तुम ता बस्या दुर देश मा, बिराण पहुच्या धोर .. - २ (फ़ेमेल)

हे बौजी, भैजीकु खबर,,, ?
दीदी भुलियों तै.. क्या रैबार,,
क्या होण छ घौर..........
गांव खोला और.. रिती-रिवाज, अपणो सी दुर.. -२ (मेल)

हे भैजी तुम तै खबर,,,
दीदी भुलीयो तै यु रैबार,,
आवा बौडी घौर........................
अपणु मुलक.. अपणू देश, अपणो कु धोर.. - २ (फ़ेमेल)

एलबम - ललीता छो छम्म, स्वर - गीता चन्दोला दीदी एंव अर्जून रावत, गीत विनोद जेठुडीCopyright © 2010, Vinod Jethuri  www.vinodjethuri.blogspot.com

(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)

सोमवार, 27 दिसंबर 2010

कौथिक दुबईखाल की


सयुक्त अरब ईमिरात मे रह रहे प्रवासी उत्तराखन्डियो (उत्तरान्चली एशोसियसन आप ईमिरात ग्रुप) द्वारा नये साल को कौथिक के रुप मे दुबई राज्य मे हर साल हर्शॊउलाष के साथ मनाया जाता है...दुबई (दुबईखाल) के इस कौथिक मे आप सभी को आमन्त्रण हेतू ये कुछ पन्क्तिया सादर:-

२८ गति पौश की या
७ तारिक जनवरी..!
होन्दू हर साल थौल
बल दुबईखाल की..!!
कौथिगेर आला सभी
आली बेटी-ब्वारी भी
दान-सयाण नचला मन्डाण
ढोल-दमो क दगडी..!!
घौर बटी अया महिमानो की
करदा सतकार जी
झुमैद्या दुबईखाल तै आज
अपण सुर-ताल सी..!!
छोडी ईर्श्या, दुश्मन्यात
हम सभी छवा भयात
कौथिग क ये दिन मा
ह्वे जौला हम अभी साथ..!!
अपण घौर-गांव सी दूर
खुदेन्दू पराण भी..
खुद बिसरै द्योला आज
अपणो सी मिली की..!
२८ गति पौश की या
७ तारिक जनवरी..!
होन्दू हर साल थौल
बल दुबईखाल की..!!

27 December 2010 @ 7:10 AM
(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)