बुधवार, 2 फ़रवरी 2022

वोट




वोट

चुनावों कू बगत च, नेताओं की बोली लगी च
जने द्याखो उने ही, नेताओं कू येराट मचयूं च

दिखेंद नी छयाई पेल, उंक आज कौथिग लगयूं च
अकड़ सरिल अर कपड़ों की, यूं नेताओ की हरची च 

कबी सुणी नी के की, आज दरजू दरजू पौन्छ्यूं च
हरएक पारटी कू नेता बल, आज भिखमंगू बण्यू च

वायदों की लिस्ट मा, फ्री कू मसेटू खूब रलयू च
बुलण मा क्या जांदू, नारों की थकुली खूब सजयीं च

जन जन टेम अगने बढणु, रंगमत वोटर भी हूणों च
दारु पैसो क छुयाँ फुटण छन, बल मौल्यार खूब अयीं च

एक हेन्काक टंगड़ी खिंची, नातो रिश्तों मा गरमाहट दिखेणी च
भेजी भुल्ला, दीदी भुल्ली, काका काकी, ब्वाडा बौडी, खूब सुनेणु च

पर सूणा बात “प्रतिबिम्ब” की, वोट दीण कू तुम जरुर जयां
अपर हित से पेली राष्ट्रहित दिखेन, फ्री न स्वाभिमान तें जितायाँ


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल २/२/२२
(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)

रविवार, 2 जनवरी 2022

म्यार चिंतन – २०२२



म्यार चिंतन – २०२२

( ने शुरुआत - अपड़ी हिंदी रचना क रूपांतर)


लेख छयाई जू आखर, अब वू मै से दूर ह्वे गीन

उकेर छयाई जू कागज़ पर, अब वू तुम्हर ह्वे गीन


इमानदार कोशिस ह्वेली, ये बरस कुछ लेखी जोऊँ

अपणा शब्द भावों ते, सेत तुम्हर करीब ले ओंऊँ


शब्द ज्ञान सीमित च, फिर तुमसे कुछ सीख जोलू

स्नेह आसीरबाद तुम्हरू, सेत मिते मिली जालू 


लिखलू मी सच, पर कभी कडू म्यार बोल ह्वाला

'प्रतिबिम्ब' हमर ही ह्वालो, आखर केवल म्यार ह्वाला


-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल, २ जनवरी २०२२



(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)