मि उत्तराखँडी छौ - यू शब्द ही अपणा आप ये ब्लाग क बारा मा बताणा कुण काफी छन। अपणी बोलि/भाषा(गढवाली/कुमाऊँनी) मा आप कुछ लिखण चाणा छवा त चलो दग्ड्या बणीक ये सफर मा साथ निभौला। अपणी संस्कृति क दगड जुडना क वास्ता हम तै अपण भाषा/बोलि से प्यार करनु चैंद। ह्वे जाओ तैयार अब हमर दगड .....अगर आप चाहणा छन त जरुर मितै बतैन अर मि आप तै शामिल करि दयूल ये ब्लाग का लेखक का रुप मा। आप क राय /प्रतिक्रिया/टिप्पणी की भी दरकार च ताकि हम अपणी भासा/बोलि क दगड प्रेम औरो ते भी सिखोला!! - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
बुधवार, 2 फ़रवरी 2022
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रविवार, 2 जनवरी 2022
म्यार चिंतन – २०२२
म्यार चिंतन – २०२२
( ने शुरुआत - अपड़ी हिंदी रचना क रूपांतर)
लेख छयाई जू आखर, अब वू मै से दूर ह्वे गीन
उकेर छयाई जू कागज़ पर, अब वू तुम्हर ह्वे गीन
इमानदार कोशिस ह्वेली, ये बरस कुछ लेखी जोऊँ
अपणा शब्द भावों ते, सेत तुम्हर करीब ले ओंऊँ
शब्द ज्ञान सीमित च, फिर तुमसे कुछ सीख जोलू
स्नेह आसीरबाद तुम्हरू, सेत मिते मिली जालू
लिखलू मी सच, पर कभी कडू म्यार बोल ह्वाला
'प्रतिबिम्ब' हमर ही ह्वालो, आखर केवल म्यार ह्वाला
-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल, २ जनवरी २०२२