शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

आंदि च खैरी

आंदि च खैरी
(यीं  कविता मा वे मन्खि क भाव छन जैक पत्नी ये़ संसार भटि चली गैई)



त्यार बान चुची मीन क्या जी नी केरी
सुचदो भी छौ त अब आंदि च खैरी

कनि चलि गै चुची तु मिते छोडी की
नी सोची तिन मेरी अर बाल - बच्चो की

कैकि दगड चुची मी अब लड़ै करूलू
मना की बात अब कै मा मी बुलूलु

हेसणु बुलणु चुची मी  भूलि ग्यों
स्वाद गिचो कु भी अब हरचि गैई

गोर बाछि चुची त्वतै ही ढुढंदीन 
कब आलि मा बच्चा भी पुछदीन 

सुपिना मा चुची तु आंदि तै छैयी
उठदू  छौ त खौलें मी जान्दू

जख होलि चुची तु दिखणी त होलि
रूंदि च जिकुडी तु जणदि त होलि।

त्यार बान चुची मीन क्या जी नी केरी
सुचदो भी छौ त अब आंदि च खैरी

-प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल 


(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)

मंगलवार, 6 जुलाई 2010

महेन्द्र सिंह धोनी व साक्षी धोनी को शादी की बधायी एंव सुभकामनाये


Copyright © 2010 Vinod Jethuri

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(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)