गुरुवार, 16 सितंबर 2010

फ़िर याद ऐगी होली

रंग रंगीली फ़िर याद ऐगी व होली, पांणी मुखडी कु सुखैगी होली।
बार-त्यौहार क्वी भग्यान मनालु, कैकी आंखी खुद मा दुख्णी होली।
मै छौं पापड बेळणु यख, अर वा आंसुम भिजीं रोठी बेळणी होली।
बरखा बत्वाणी यख होण लगीगे, व कखी चुन्नी उडौणी होली।
कुरेडी लगी यख याद दिलौणी छ, ओडा-उड्यार वा बैठीं होली।
जुं डाडियों हम्न बल्द चरैन, वा वख घास काटणी होली।
रंग रंगीली फ़िर याद ऐगी व होली, पांणी मुखडी कु सुखैगी होली।
- चन्द्र मोहन