मी उत्तराखँडी छौ - यू शब्द ही अपणा आप ये ब्लाग क बारा मा बताणा कुण काफी छन। अपणी बोलि/भाषा(गढवाली/कुमाऊँनी) मा आप कुछ लिखण चाणा छवा त चलो दग्ड्या बणीक ये सफर मा साथ निभौला। अपणी संस्कृति क दगड जुडना क वास्ता हम तै अपण भाषा/बोलि से प्यार करनु चैंद। ह्वे जाओ तैयार अब हमर दगड .....अगर आप चाहणा छन त जरुर मितै बतैन अर मी आप तै शामिल करि दयूल ये ब्लाग का लेखक का रुप मा। आप क राय /प्रतिक्रिया/टिप्पणी की भी दरकार च ताकि हम अपणी भासा/बोलि क दगड प्रेम औरो ते भी सिखोला!! - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
शनिवार, 24 जुलाई 2010
मसक बाजा Copyright © (गढ़वाली)
भैजी क्या हवे गी तुम सने
तुमन सब छोड़ेले
धुन जु ह्वेन्दी छयी कानो मा
वीं सने भूल गेन
तेज़-तेज़ ज़माना मा
तुमन मसक बाजा सने
भूलै दे
याद कोरा वे बाजा सन
जैकि धुन मा सब झुम्दा छाँ
जैकु सुरिलू स्वर दिल मा
घुम्दा छाँ
जैकि हर ब्यो मा खल्दे छैन कमी
जैकि धुन लौंदी छैन बीती यांदें
जैकि वजह से औंदी छैन आँखों मा नमी
मसक बाजा सने भूल गैन हम
जू जू छौ हमारु
वे सने ख्वेदी हमन
गढ़वालकु नाम जू छौ
देवभूमि
वे मा दानव बसै देन हमन
सारी सुन्दरता सनेई
मिटै दे हमन
चमक्दु गढ़वाल
वे मसक बाजा कि ताल
भैरो सब लग्दुच कमाल
पर घौरा मनखी
पे उठ्दु च सवाल
भैजी
अवा बदलदन छान
सब्बी की सोच
अवा भैजी
बजोंदन नयी सोचा कु
ढोल
अवा भैजी खोल्दन
नया दरवाज़ा
अवा भैजी
बजौंदन फिर से
उ मसक बाजा
गढ़वालकु
मसक बाजा
मसक बाजा
शुक्रवार, 23 जुलाई 2010
कन ब्वारी चएंदी च ? Copyright © अनुपम ध्यानी
माँ कबर बीटिं लगीं च
बेटा ब्यो कब करणु कु विचार च
स्याणु हवे गें तो
बता मैं सने
कन ब्वारी चएंदी
मिन लौंण
मिन बवाली ब्यो कु बारा मा
त मिन अभी सोची नि च
तुम सने ब्वारी चएंदी च
तुम ही बातें देया
कै चुल्ला माँ तुमण
झोक्ण मैं सने
खुद तैं के देया
पिताजी का चेहरा मा चिंता देखि
माँ कु मन पढ़ी कि देखि
भुल्ली कु उत्साह भी खूब देखि
देखि की तैं मिन अपनी गिच्ची खोली
ब्वारी कु दिल
बद्रिवाशालाकी जन
बडू होनु चएंदु
बाल भागीरथी कि लहरा जन
शीतल होण चएंदी छन
बुरांस कि जन सुन्दर
वुइं कि त्वचा होणी चएंदी च
सुबेर तन खिलणी चएंदी च
जन बरसाता का ठीक पहला
काफल पक्दु
जन गर्मी की धूप मा
केदारनाथ कु मंदिर
चमक्दु
माँ तू मेरु दिल जणदी छें
बस तन हुइएनि चएंदी
जन पल्ली पार
बाह बाज़ार कु हल्ला होंदु
ते सने मिल्ली नि तन ब्वारी
किले कि मैं सने
पूरु गढ़वाल
चएंदु च
अब बात तन च
कि माँ ब्वारी
ढुंढणु कि बात
छेड्दी नी च
किले कि सब लड़कियां
अब कु ज़माना कि
तन होंदी नि छन
दिब्र्ग गौं लगदु च
मेरु गढ़वाल बदबू
मरदु च
अब त बस एक ही इच्छा च
घर बसौलू तब्बी
जब सब गढ़वाली
गढ़वाल सने उन्च्छु उठौला
और भैरे चकाचौन्द से पहला
गढ़वाल सने
सम्मान दिलौला
सम्मान दिलौला
सम्मान दिलौला
तिन नि औण ..बेटा !!! Copyright © अनुपम ध्यानी
खीसा मा कुछ नी छौ
नि छौ कुछ झोला मा
बस छौ उम्मीद कु दामन
सपणा आँखों मा
पढै लिखी ख़त्म कोरी की तैं
मिन यख औंण की सोची
विदेशामा कुछ बणि की टी दिखै दयूं
मिन तक्खी तक ही सोची
माँ, बाप, भुल्ली कु प्यार
सने दिल मा दबै कि तैं
मिन जन तन हिम्मत जुटे
पर सोब का सोब , सोचण लग गेन
स्यु जू गै अब, येन अब नि औण
तीन साल हुए गेन
मिन घौर कि शक्ल नि देखि
भट्ट नि बुकैन
झंगोरू , कोदू ,पाल्यो नि चखी
रयोंदुं छौन मैं कई बार
पर बोल नि सक्दौं
घोरा लोखुं कु दर्द बिन्ग्दौं मैं
पर खुद का राज़ खोल नि सक्दौं
अब ता च्च्ची न जू बोली छौ
वू सच लगदु च
तिन बल वख बस नोट कमोंण
इक बार जो तू चलगी
बेटा तिन घौर नि औंण
तुम सण कण बतेइ सकदु
कि मेरु मन लगदु नि च यख
घोर, प्रेम और मन
वख च वख
जख जख्या कु छौंक लगदु
जख द्वी रुट्ठी मा
घौर चल्दु
जख पिताजी डांट लागोंदन
जख माँ नींद बीटी जगौन्दी च
जख भुल्ली लड़दी च
अब तो लगदु कि
च्च्ची न झूठ नि बोली छौ
तिन बस वख बर्गेर, पिज्ज़ा ही खै सकण
बेटा तू जानी तो छें
तिन घौर नि ए सकण
छि कख फस्यों मैं
कब जलु घौर
जख होली ख़ुशी
जख हुली उमंग कि बौर
च्च्ची तेरी बात सने
एक दिन मिन हरै कि रखण
तिन देखण एक दिन
मिन वापिस औंण
जल्दी औंण
मंगलवार, 20 जुलाई 2010
कुछ देखि, कुछ खै कि अर कुछ चूसि ओला
चलो जयोला अपणी देव भूमि घूम्योला
डांडी कांठयूं ते हम अपणी देखियोला
कुछ देखि, कुछ खै कि अर कुछ चूसि ओला
चलो जयोला अपणी देव भूमि घूम्योला
मुंगरी, भट अर मर्सू भूजि की हम ख्योला
दुध मा रुटि अर भात भिजै कि ख्योला
चलो जयोला अपणी देव भूमि घूम्योला
झुंगर भात अर कंडलि कु साग ख्योला
पलयो चाखि ओला अर थिंव्चणी खयोला
चलो जयोला अपणी देव भूमि घूम्योला
सौणा क मैना की खीर खै की ओला
तैडू अर म्यालो ते भूजि खै की ओला
चलो जयोला अपणी देव भूमि घूम्योला
तिमला, औंला, बेडु अर खैणू सब देखि ओला
किन्ग्वड, हिसरा, काफल अर जामण खै कि ओला
चलो जयोला अपणी देव भूमि घूम्योला
बुंराश अर बंसिगू क फूलो चूसि ओला
क्वादो क डंकुली तूंग क पत्ता चूसि ओला
चलो जयोला अपणी देव भूमि घूम्योला
कचपोलि अर शिकार सब चाखि ओला
पटवडी ख्योला बौडी कू साग चाखि ओला।
चलो जयोला अपणी देव भूमि घूम्योला
राई,गुदडी अर प्याजा की भुज्जी हम खाई कन ओला
पिंडला अर गींठी तै हम खाई कन ओला
चलो जयोला अपणी देव भूमि घूम्योला
ब्यो बराती मा अरसा,पकोडा अर ससकंडी ख्योला
पंडो नाची अ कल्यो-पौणे खाई कन आई जोला
चलो जयोला अपणी देव भूमि घूम्योला
बाडी घूलि की अर चैव्सणी हम खाई कन ओला
पपीता की भुज्जी अर ठुंगार कु स्वाद चाखि ओला
चलो जयोला अपणी देव भूमि घूम्योला
- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल , अबु धाबी, यूएई
(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)
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