गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

म्यार उत्तराखंड




जागी जागी की उत्तराखंड बणेई
मौका आई त मी सियूं रे ग्यों

देव भूमि ते हमन अपणों जाणी
सेवा करला, या कसम हमन खाई
जागी जागी की उत्तराखंड बणेई
मौका आई त मी सियूं रे ग्यों

तब नौ की नी केरी केन परवाह
उत्तराखंड बणी जावा बस या छे चाह
जागी जागी की उत्तराखंड बणेई
मौका आई त मी सियूं रे ग्यों

केन जवानी देई, केन भाई, केन दगड्या ख्वेई
केकु सुहाग उजड़ी अर केकी खुखली सूनी ह्वाई
जागी जागी की उत्तराखंड बणेई
मौका आई त मी सियूं रे ग्यों

उत्तराखंड बणे की मी बिसरी ग्यों
बस नेतागिरी मा मी उल्झुयूं रे ग्यों
जागी जागी की उत्तराखंड बणेई
मौका आई त मी सियूं रे ग्यों

देहरादून मा ठाठ छन, गेरीसेण भूली ग्यों
अपणी जेब सब्यूं भोरी, पहाड़ा की केन नी सोची
जागी जागी की उत्तराखंड बणेई
मौका आई त मी सियूं रे ग्यों

गौं बटी मी भागी, अपणी भासा बी छोड़ी
उत्तराखंडी नामा कु, कूड़ी बाड़ी सबी छोड़ी
जागी जागी की उत्तराखंड बणेई
मौका आई त मी सियूं रे ग्यों

आज सबी उखक सरबे सरबा छन बणया
जु च स्वारु भारू, वे क त भाग छन चमकया
जागी जागी की उत्तराखंड बणेई
मौका आई त मी सियूं रे ग्यों

चला चला रे उत्तराखंडियों अब सियां नी रावा
उठी जावा, सुपीन मा न असली उत्तराखंड बणावा
गढ़वली कुमौनी न बणा, उत्तराखंडी तुम बणी जावा
स्वाचो न, बस अब कारा, उत्तराखंड ते आज बचावा

- प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल


(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)