कुछ इनै भी……
लीसू सी..
कथुक ध्वालो ये ते फुंडै
मारो कूटो त भी
चिपक्यू रेंद यू
हमर दगडी
लीसू सी
टिपड़ा
जन्म ह्वे त ब्वै बुबा न
टिपडा बनै
बामण न भी द्वी पैसा कमै
सुख मा दुख मा
जब कुछ नी सूझी
फिर टिपडा पूजी
ब्यो कुण भी टिपडा मिले
अब ह्वे गीन नोन बाल
हम भी लग्या छंवा
टिपड़ा पूजण मा
मेरे जिकुड़ी
तेर भी अर मेर भी
जिकुड़ी धक धक करदी
पर अलग अलग बाणी बुलदि
क्वी च मयलू
क्वी च गुसेलु
क्वी कर दू प्यार त
क्वी कर दू वार
हे रे जिकुड़ी
हैंस्या नी केर
नोनि जवान ह्वेगे
लाटी अब
सब्यू की समणी
खित खित नी हैंस्या केर्
निथर लोग ब्वालल कि
ठीक नी च
नोनि कु सवर
तु अब
खित खित नी हैंस्या केर
आंखि
मुखडि मा लगी छन
द्वी ढिबरा सी आंखि
बस अफूकि दिखदू
जू दिखण चान्द
बुल्दू च कि
त्यार दुख च म्यार दुख
हैंका कु दुख देखि
फुटि जंदिन यू आंखि
है तेरि आंखि
प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल, अबु धाबी, यू ए ई
(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)