गुरुवार, 23 सितंबर 2010

ईन बरखा पैली कभी नी देखी

ईन मुसलाधार बरखा ना लगा धी
जख दिखा पाणी, पाणी हुयू छ..
ये पाणी सी अब, हमतै बचा धी

३२ साल कू रिकार्ड भी टूटी....
ईन बरखा पैली कभी नी देखी
पाणी मा पहाड डुबणा छन..
बस करा अब बहुत हवे ग्यायी

घर कूडी भी पाणी लीगी ग्यायी
गोर-बखरा सभी, बैगी ग्यायी....!
बेघर हुंय़ा छन मेरा पहाड क मनखी
ईन्द्रदेव जी तीन क्या करियाली ?

करोडो कू नुकसान हवे ग्यायी
खीयी-कमायी सब पाणी मा ग्यायी
पाणी बगैर तडपणा छा कभी...
आज पाणी मा सरै पहाड डुबै दयायी

गंगा जी कू पाणी बढी ग्यायी
कोसी नदी उफ़ान मा छायी
सागर नी देखी छ कभी !
टीहरी की झील मा यू भी देखीयाली

सैकडों लोगों की जान चली ग्यायी
स्कूल पढदी बच्चो तैभी नी छ्वाडी
श्रर्धान्जली ऊ दिवंगत आत्माओ तै
जून ये पाणी मा प्राण ख्वे दयायी


विनोद जेठुडी 21 सितम्बर 2010, 7:18 AM
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