बुधवार, 7 अप्रैल 2010

तेरी सौं







तेरी सौं,तीना बोली मीन सुणियाली,
मन मा रखयालि ,मन मा रखयालि

तेरी मुखडी मितै भली लगदी
जिकुडी मा त्यार ही नौ बसदू
म्यार मन मा क्वी और नी आंदू
बस त्वै दगड ही यू आंदू जांदू

तेरी सौं,तीना बोली मीन सुणियाली,
मन मा रखयालि ,मन मा रखयालि

त्यार सण ही मी प्रेम करदू
जीवन की सच्चै मी भी जणदू
तेरी आंख्यो मा दुनिया मेरी बसदी
त्यार बिन खुद मितै भी लगदी

तेरी सौं,तीना बोली मीन सुणियाली,
मन मा रखयालि ,मन मा रखयालि

त्वै दगडी ही जीवन म्यार सरया
खैरी या खुशी अब दगडी बंटला
सात जन्मु का साथ अपणु
हर जन्म ते खुसहाल बणोला

तेरी सौं,तीना बोली मीन सुणियाली,
मन मा रखयालि ,मन मा रखयालि

-प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल (अबु धाबी, यूएई)
(गढवाली मा मेरी पैली रचना, लेखि पैली छयाई पर पोस्ट अब करणू छौ)



(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें