बुधवार, 19 मई 2010

आज फिर वूं तै


एक कविता हिन्दी मा लेखि छैई स्वाचि गढवली मा भी लेखि दूयं
http://merachintan.blogspot.com/2010/05/blog-post_14.html 
[आज फिर उनको हमारा ख्याल आया
सपने में आकर चुपके से मुझे जगाया]

~ ~ ~ आज फिर वूं  तै~ ~ ~

आज फिर वूं तै मेरो ख्याल आई
सुपिना मा आई कन मितै जगाई

बुलण बैठी भूली जाओ ब्याला कि कहानी
अब  फिर शुरु करला हम एक नै कहानी

तुमि ते मी अपरु सहारा बणान चांदू
तुमि तै अपरु प्यार मी  बणान चांदू

तुम्ही छंया म्यार श्रृंगार - दर्पण 
करणू छौ तुम्ही ते मी सब अर्पण

आज फिर मितै अपरु गल लगे ल्याओ
अपरु नाराज़ दिल ते अब  मनै ल्याओ

अब ज्यादा नी करि सकद मी इंतज़ार
खडू छौ मी लेकन फूलूँ कू  हार 

आज फिर वूं तै मेरो ख्याल आई
सुपिना मा आईकन मितै जगाई


- प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल, अबु धाबी, यूएई


(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)

4 टिप्‍पणियां:

  1. bout badia vichar app ka baji .jani hamari sanskrity cha tani koi hor ne ho sakadi.ass kardu agnay bhi app yene lekhada rala.

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  2. जग्गा पहाडी20 मई 2010 को 7:53 am बजे

    आपुड बहुत भल शब्द चुना मैं उत्तराखंडी छू ( पहाडी उत्तराखंडी)

    आपुड कविता बहुत बड़ी लिख रखी आपुड लोगो आपश में जोडन लिजी

    ददा (भायजी) आपुड कै म्यर भाषा समझ में नि आली माफ़ कर दिया ..................


    जय पहाड़ तु महान (जय उत्तराखंड )

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  3. अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली" य़ा बात तैं साकार करना को वास्ता आपतैं अनुरोध च कि एक बार पहाड़ी फ़ोरम www,pahariforum.net मा विजिट करा।

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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