बहुत सोचि मीला, अर इन जणना की कोशिश करि की हम उत्तराखंडी भै बैणा किलै समाज मा सामूहिक रुप मा छाप नी छोडि सकणा छंवा जब्कि सब एकला चलो की राह पर चलणा छन।
सकारत्मक सोच त सभी रखदिन पर नकरात्मक छवि हमरी ज्यादा प्रमुख च समाज मा। सबसे बडू कारण हम खुद ही छंवा। यीं कविता मा कुछ भाव उभरिक ऎन जूं ते मीला तीन भाग मा ल्याखि -1. उत्तराखंडी किलै छन अलग[नकारात्मक] 2. हम क्या छंवा करणा आज 3. जू प्रशन उठिन वा मा हम क्या करि सकदा और अंत मा एक आस।
[ कै भी रुप मा यू वक्तिगत या समूह कुण नी छन या कै पर व्यंग्य नी चा बस एक सकारात्मक सोच ते बढावा दीण कु एक प्रयास च अर सबी भै बैणा अगर एक ह्वे कन सुचला त हम अपणा उत्तराखंड का वास्ता व्यापक रुप मा सह्योग दे सकदा]
~~~~अभी बची च आस ~~~~
1. उत्तराखंडी किलै छन अलग [नकारात्मक]
पुंगडी - डांडी, गोर - बछरा, नदी - छोया सब बिसरी गैना
पापी पेट अर उज्जवल भविष्य कि खातिर सब छोडी गैना
देव भूमि च छुट्टु सी हमर उत्तराखंड
फिर भी करणा छंवा हम यांका खंड खंड
क्वी च गढवली अर क्वी च कुमाऊँनी
जग मा बुलद ज्या मा हमते शर्म च औंदी
नामे की रैंदि बस सब्य़ु ते दरकार
नी ल्याओ त सब्यू ते चढदू बुखार
सुचणु रेंदु, कै की मौ कन मा फुकुलू
मवसी अपणी कन मा यां से बणोलू
जख मा ह्वे जैले मेरी खाणी पीणी
वैतेई ही मीना बस अपणू जाणी
2. हम क्या छंवा करणा आज
अपणी बोलि/भासा मी बोल नी सकदू
फिर भी एक हैका टांग मी खिचणू रेंदू।
राज्यो मा बणेयेनि हमूला अब उत्तराखंड
हर राज्यो मा भी छन कतना उत्तराखंड
विदेश मा भी बण गीन बिज्यां उत्तराखंड
हर देश मा भी छन अब द्वी-द्वी उत्तराखंड
बुल्दिन मी अर म्यार काम च असली
दुसरा छन जु वू सब छन नकली
संस्कृ्ति का छंवा हम ही केवल पैरेदार
एक दुसरा ते तुडना मा नी लंगादा देर
मी छौ बडू म्यार छी बडा कनेक्शन
लडना रंदिन जन हूणा हवालो ईलेक्शन
3. जू प्रशन उठिन वा मा हम क्या करि सकदा
राजनीति केवल नेताओ ते करणा दयावा
वू ते सबक सिखाणा सब एक ह्वेई जावा
अपनी भासा अर बोलि जरुर तुम जाणा
संस्कृति अपणी की असलियत तुम पछाणा
एक अर एक द्वी ना,बल्कि ग्यारह तुम ह्वे जाओ
उत्तराखंड ते अपणो खंड - खंड नी हूणी दयाओ
देव भूमि कूं विकासा का विचार तुम राखा
कन पलायन रुकला यांकि सोच तुम राखा
अपणा उत्तराखंड क भविष्य की बात जब ह्वेली
शिक्षा बिजली पाणी अर सडक गौं-गौं मा जैली
रैला दगडी दगड्यो अर करल्या कुछ काम
बुलणु नी प्वाडलो कैतेई फिर अफि होंदु नाम
खाणी पीणी ना केवल,मिलन मा करया तुम खास बात
हर कार्य मा अपणी ना, उत्तराखंड की करयां तुम बात
...अंत मा एक आस
उत्तराखंड मा च देवी - दिबतो कु वास
खंड नी हूणी दूयला अभी बची च आस
- प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल , अबु धाबी
(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)
Namaskar Bhaiji
जवाब देंहटाएंAapki likhyee kavita ma sari sachachai najar aani cha. bahuut sundar likhi aapan
Dhanyabad.
Wahhhhhh,bahut hi khub-shurat kavita cha..mai bhut pashan aaee cha,aap ki likhi bahut kavita main,likhi rakhin...
जवाब देंहटाएंbahut dhanyawaad.
GEETA CHANDOLA..
KIRAN UNIYAL...... aap ne kavita ke jariye satyataa samne laayi hai. very nice..keep writing. thank u so much.
जवाब देंहटाएंAdarniya Badthwal ji,
जवाब देंहटाएंAapki kavita padhi ber 1 sawal myr man mai le aanchh ki, bhashan tai hum di saknu pr kari kuchh bhi sakan ---kilai? Rojgar kaan ber milol?
waik khatir te hum pardesh jai chhan. par sangathit haunu ku ya prayaas sahi chh.
बिरेन्द्र जी भाषण नी च्.. या हमरी सचै च.. मी आप सभी शामिल छंवा या मा हम। पैली लोग बाग भेर चली गैन वे वक्त शिक्षा या नौकरी की व्य्वस्था नी छै या ना क बराबर छै। लेकिन अब उत्तराखंड(इतना बडू आंदोलन का बाद) बण गै कि विकास ह्वाओ और पलायन रुकला। लेकिन अभी म्यार प्रशन यू ही च कि अभी भी हम वी मानसिकता से उभरया नी छंवा। हमर कम्जोरी एकता मा च, राजनीति मा च अर आपसी भेद्भाव (जा क जिक्र मिला मथि अपर रचना मा करयू च)। हम स्वार्थ की भासा ज्यादा समझदंवा...अंत . अभी भी बची च आस..जय हो
जवाब देंहटाएंbhaiji....aap ka yi vichar dekhikein maan prashan honun cha. ki abhi bhi kuch log yana chin. ju apni sanskriti aur boli tein bachon kein prayatan karna chan!!!! dhanyawad...
जवाब देंहटाएंAderniya badthwal ji apan ju bhi vichar likhen woo sahi likina ju kavita apna likhna vo utrakhandiyo par sahi baithda.mite ap par garv cho ki me bhi uttrakhndi choo. vinod kukreti
जवाब देंहटाएंVery Nice Try
जवाब देंहटाएंI am of opinion that the try is better than no comments. You have poetic attitude and can do wonder
Bhishma Kukreti, Mumbai
tum logung bahut achch kaam karan lag ria cha keep it up
जवाब देंहटाएंgood
जवाब देंहटाएंभ्रष्टाचारियों ल कखी का नि छोड़ियाँ छ आश भी ख़तम होणी च आप न बहुत ही अच्छु लेखी बधाई हो
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