आज सूबेर सूबेर
हेर मरच
कमर मटकेकन
म्यार तरफ दिखण बैठ
लगणी त छे
बिगरेली बांद जन
अर मुल मुल हेंसणी भी छे
हंसदा हंसदा
जन बुल्णी होली
पहाड़ ते बिसर ग्यों तुम
मीतेई नी बिसर ह्वेला
हर खाणा कू स्वाद
मेर ठुंगार
लिया बिन
कन मा बिसर सकद्वा तुम
सिलबट्टा मा खड़ा लूण
धनिया अर लेसुण दगड़
पिसी की त मेर माया
उतराखंडी क जीभ हे बतेली
कखड़ी आम अमरूद
चोरsक खई त होली
कखी न कखी
मेरो स्वाद
मेर याद
तुमों मा सम्मूण जन होली
अरे सूणा
जख भी ह्वेला तुम
रुटी भुझी खावा
दाल भात खावा
फाणू भात खावा
झुल्ली भात खावा
चेस्वणी भात खावा
उत्तराखंडी खाणा
बिसरेन न
अर मेर ठुंगार दगड़
स्वाद तुम ल्यावा
बस हेर मरच दगड़
जरा सी संवाद
झट तोड़ी क लयों,
दाल भात अर भुजी
क दगड़ लेकन ठुंगार
गीच मा मेरे आईगे स्वाद
उल्यारु ज्यू
सगोड़ा अर गौं का
सुपीन दिखण बैठ ग्याई
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ३ नवंबर २०२०
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