म्यार चिंतन – २०२२
( ने शुरुआत - अपड़ी हिंदी रचना क रूपांतर)
लेख छयाई जू आखर, अब वू मै से दूर ह्वे गीन
उकेर छयाई जू कागज़ पर, अब वू तुम्हर ह्वे गीन
इमानदार कोशिस ह्वेली, ये बरस कुछ लेखी जोऊँ
अपणा शब्द भावों ते, सेत तुम्हर करीब ले ओंऊँ
शब्द ज्ञान सीमित च, फिर तुमसे कुछ सीख जोलू
स्नेह आसीरबाद तुम्हरू, सेत मिते मिली जालू
लिखलू मी सच, पर कभी कडू म्यार बोल ह्वाला
'प्रतिबिम्ब' हमर ही ह्वालो, आखर केवल म्यार ह्वाला
-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल, २ जनवरी २०२२
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