वोट
चुनावों कू बगत च, नेताओं की बोली लगी च
जने द्याखो उने ही, नेताओं कू येराट मचयूं च
दिखेंद नी छयाई पेल, उंक आज कौथिग लगयूं च
अकड़ सरिल अर कपड़ों की, यूं नेताओ की हरची च
कबी सुणी नी के की, आज दरजू दरजू पौन्छ्यूं च
हरएक पारटी कू नेता बल, आज भिखमंगू बण्यू च
वायदों की लिस्ट मा, फ्री कू मसेटू खूब रलयू च
बुलण मा क्या जांदू, नारों की थकुली खूब सजयीं च
जन जन टेम अगने बढणु, रंगमत वोटर भी हूणों च
दारु पैसो क छुयाँ फुटण छन, बल मौल्यार खूब अयीं च
एक हेन्काक टंगड़ी खिंची, नातो रिश्तों मा गरमाहट दिखेणी च
भेजी भुल्ला, दीदी भुल्ली, काका काकी, ब्वाडा बौडी, खूब सुनेणु च
पर सूणा बात “प्रतिबिम्ब” की, वोट दीण कू तुम जरुर जयां
अपर हित से पेली राष्ट्रहित दिखेन, फ्री न स्वाभिमान तें जितायाँ
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल २/२/२२
(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)
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