गोर चराण जै छ भै मै, ग्वेर छोरो क दगडी मा
बल्द कि जोडी उ लडादिन, बुलदीन हुरर- हुरर हां
सडकी कि बाठी गोर लिजादिन, रोड करदिन बन्द हां
जन गाडी रुकदी भयो, ढुगं फ़िकदन टोल मां
ग्वेरू छोरा..................
गोर चराण जै छ भै मै, ग्वेर छोरो क दगडी मा
बल्द कि जोडी उ लडादिन, बुलदीन हुरर- हुरर हां
बुलदीन हुरर- हुरर हां बुलदीन हुरर- हुरर हां - (कोरस)
गोर-बखर छोडी जगंल, ये जान्दीन उ सडकी मा
पिल्ला बणै तै गोली खिना छन, मस्त हुया छन खेलो मा
घर जाण कि येयी बारी, गोर पहुच्या छ्न धारी मा
गोर चराण जै छ भै मै ग्वेर छोरो क दगड मा
ग्वेरू छोरा..................
गोर चराण जै छ भै मै, ग्वेर छोरो क दगडी मा
बल्द कि जोडी उ लडादिन, बुलदीन हुरर- हुरर हां
बुलदीन हुरर- हुरर हां, बुलदीन हुरर- हुरर हां - (कोरस)
क्वी-क्वी छोरा ईन भी होदन, छुट छोरो मा लडै करादिन
छुट छोरो तै पिटी-पिटी खन, गोरो तै भी उ डिकादिन
बड-बड ग्वेरू येस कना छ्न, छुट्टो क बुरा हाल हां
गोर चराण जै छ भै मै ग्वेर छोरो क दगड मा
ग्वेरू छोरा..................
गोर चराण जै छ भै मै, ग्वेर छोरो क दगडी मा
बल्द कि जोडी उ लडादिन, बुलदीन हुरर- हुरर हां
बुलदीन हुरर- हुरर हां बुलदीन हुरर- हुरर हां - (कोरस)
क्वी चौलं क्वी तेल ल्यादू, क्वी लेन्दू आलु प्याज हां
ग्वेरू खिचडी बण छ तख, घनघोर जगलों बीच मा
कन बडी मौज औन्दी भयो, खैक ग्वेरु खिचडी हां
गोर चराण जै छ भै मै ग्वेर छोरो क दगड मा
ग्वेरू छोरा..................
गोर चराण जै छ भै मै, ग्वेर छोरो क दगडी मा
बल्द कि जोडी उ लडादिन, बुलदीन हुरर- हुरर हां
बुलदीन हुरर- हुरर हां बुलदीन हुरर- हुरर हां - (कोरस)
आम फ़लेन्डू कि डाली मा जादन, दगडियों तै भी खुब खिलादिन
थैला भोरी तै कान्दी टन्कियू छ, बाठ-बटुयों तै भी देंदन
आम फ़लेन्डू खैक भयो, मन होन्दू तरोट हां
गोर चराण जै छ भै मै ग्वेर छोरो क दगड मा
ग्वेरू छोरा..................
गोर चराण जै छ भै मै, ग्वेरू छोरो क दगडी मा
बल्द कि जोडी उ लडादिन, बुलदीन हुरर- हुरर हां
बुलदीन हुरर- हुरर हां बुलदीन हुरर- हुरर हां - (कोरस)
गोर चराण जै छ भै मै, ग्वेरू छोरो क दगडी मा
बल्द कि जोडी उ लडादिन, बुलदीन हुरर- हुरर हां
बुलदीन हुरर- हुरर हां, बुलदीन हुरर- हुरर हां
बुलदीन हुरर- हुरर हां, बुलदीन हुरर- हुरर हां.......
गीतकार - विनोद जेठुडी - दगडिया उत्तराखन्डी
www.vinodjethuri.blogspot.com
(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)
मि उत्तराखँडी छौ - यू शब्द ही अपणा आप ये ब्लाग क बारा मा बताणा कुण काफी छन। अपणी बोलि/भाषा(गढवाली/कुमाऊँनी) मा आप कुछ लिखण चाणा छवा त चलो दग्ड्या बणीक ये सफर मा साथ निभौला। अपणी संस्कृति क दगड जुडना क वास्ता हम तै अपण भाषा/बोलि से प्यार करनु चैंद। ह्वे जाओ तैयार अब हमर दगड .....अगर आप चाहणा छन त जरुर मितै बतैन अर मि आप तै शामिल करि दयूल ये ब्लाग का लेखक का रुप मा। आप क राय /प्रतिक्रिया/टिप्पणी की भी दरकार च ताकि हम अपणी भासा/बोलि क दगड प्रेम औरो ते भी सिखोला!! - प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
गौरूम त मी भी जांदू छयाई। जब भी गर्मीयू की छुट्टी हूंदी छै त घार जांदि छयाई...बहुत गौर चराया छ्न...
जवाब देंहटाएंखूब भुल्ला
बहुत ही मस्त गीत च विनोद भाई l
जवाब देंहटाएंतुमल मिथे म्यार गर्मी की छुट्टियाँ (summer vacation) याद दिले दीं l वे टेम मा... मी बी ग्वेर छोरूं दगडी अपर नाना जी का ग्वेर चराणु ले जांदू छो l
और जन जन तुमल लिखी न ...वो सब हुन्दू छो वख l
साझा कन कु धन्यवाद् l
.....पंकज रावत