शनिवार, 7 अगस्त 2010

सुधि सुधि ,मी , स्वीणा नि दिखावा !

बोडी,
अफ़ी अफुम छै बुनी ..
यखका सुचणा छना ..
कि, उन्दु जौला ......
अर तखुन्दा (प्रवासी ) सुचणा छन
कि उबू जौला .....!

मिन बोली , बोडी...,
तू क्या छै सुचणी ?

बोडिल ब्वाळ ...
ना यख वालों न रुकुनु ?
अर , ना ताल वालो ल आणु
गिचा बाबू .. क्या .... ???????
जू बुल्दन बुल्द जा
जू सुचणा छन , सुचुद जा ..

आणा छा, त आवा
जाणा छा , त जावा
पर सुधी सुधी , मी थै
स्वीणा त, नि दिखावा !

पराशर गौर
१८ मई २०१० रात १०२१ पर
कैनाडा

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