बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

बदोबस्त / एक MAZZAK

मिन बोली समधण जी ..
यखी रै जावा ?
समधण बोली ..
रैनू त रै जादू पर ,
तुम्हारा समधी क्या ब्वाल्ला ,जर समझाया !
मिन बोली ..,
वांकी तुम फ़िक्र न कारा
समधी खुणि मी बोली द्युलू
भै , मयारू बदोबस्त ह्वैगी ...
तुम अपणु कैलीया !

पराशर गौर
मी २० मई २०१० दिन्म २. बजी !

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